जिला बोकारो के चन्द्रपुरा प्रखंड से कैलाश गिरी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी को बताया कि मंरेगा के कार्य योजना जो ग्राम के नाम से चयनित की जाती है तथा ग्राम सभा के नाम से ही कार्य करने की नियम है. लेकिन ग्राम सभा का योजना तो किया जाता है पर इस योजना के द्वारा पारित नहीं की जाती है. और योजना पारित करने के पहले जबतक पैसे की खेल नहीं हो जाती है तबतक धरातल में नहीं लाया जाता है. उसमे पंचायत प्रतिनिधि के माध्यम से पैसे को रख लिया जाता है तथा उनके आधार पर ही ब्लॉक में जो भी पदाधिकारी एवं कर्मचारी है उन्हें पैसा दी जाती है. फिर योजना को धरातल में लाया जाता है. तथा जानकारी करने पर बताया जाता है की प्रमुख को 1%तथा बिडियो को 3%एवं मुखिया द्वारा जो चेक काटते है उन्हें कमिशन दी जाती है. इससे मालूम होता है की भ्रष्टाचार में कार्यरत प्रतिनिधि भी सामिल है. इंदिरा आवास की स्थिति जो चुनाव के पूर्व आती थी अब नहीं आती है. योजगार सेवक कोशिक जी द्वारा पूछे जाने पर बताया गया की किसी तरह की पंचायतो में पुरे प्रखंड में298 की संख्या है जिसमे पंचायतो को डीभाइड करने के बाद कभी 9या 10 मिलते है. जिसमे हरिजन आदिवासी के रिपोर्टे है तथा जन संख्या के रिपोर्टे है. तथा कुछ ऐसी जगह है जिसमे हरिजन की संख्या नहीं है. ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा कोई प्रावधान नहीं है. उन्होने बताया की पूर्वकी इदिरा आवास की संख्या है वो 250 बची हुई है.अत: सरकार को यह कार्य करनी चाहिए की जिनकी संख्या पूरी हो गई है. उन्हें हटा कर दुसरे जातियो को इदिरा आवास देने का नियम करनी चाहिए