देवघर सारठसे झारखण्ड मोबाइल वाणी पर अपने विचार को रखते हुए कहते है की शिक्षा के अभियान के चलाने का किया उद्देश्य है जबकि शिक्षा समिति और प्रबन्धन समिति ही निरस्त है आल इन आल सचिव ही सब कुछ होता है,ग्रामीणो को सदस्य बनाये जाने का कोई उद्देश्य नहीं होता।सचिव सब कामो को छोड़ कर पैसा कमाने में लग जाते है उन्हें स्कूल की पठन-पाठन से कोई मतलब नहीं होता है झारखण्ड के स्कूलो की ऐसी स्थिती है की उपस्थिती छात्र-छात्रो की सैट प्रतिसत है पर प्रतिदिन आनेवाले बच्चो की उपस्थिती १०%-20% जो बहुत ही कम है मध्याहन बोजन में माता समिति कुछ नहीं कर सकती है जब तक कि स्कुल की प्राचार्य ध्यान नहीं देती है स्कूल में मध्याहन बोजन के अंतर्गत मेनू चार्ट दिया गया है पर उसमे भी घप्लाबजी है बच्चो को उस आधार पर भोजन नहीं दिया जाता है. स्कूलों में बच्चो को साईकिल,पोशाक,क्षात्र्वृति दी जाती है उसमे भी घप्लाबाजी किया जा रहा ही पधाधिकरियो के द्वारा जांच करायी जानी चाहिए।बच्चो को कैसे और किस वर्ग के आधार पर कितनी राशी क्षात्र्वृति की दी जाती है इसकी भी जाँच होनी चाहिए .