गिरिडीह: दशरथ महतो डुमरी गिरिडीह से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि जब परिवार के कोई पुरुष व्यक्ति महिलाओं के साथ मार-पीट करता उसे चोट पहुंचता है या ऐसा करने का धमकी देता है तो वह घरेलु हिंसा के दायरे में आता है.महिलाओं के साथ किसी भी तरह से शोषण होता है जैसे आर्थिक,शारीरिक,मानशिक भावनात्मक अथवा मौखिक।घरेलु हिंसा अधिनियम 2005 ने घरेलु हिंसा को परिभाषित कर इस शब्द के समझ को और अधिक व्यापक कर दिया है.अब ऐसी महिलाये भी घरेलु हिंसा के दायरे में आती है जो हिंसा करने वाले पुरुष के साथ एक ही मकान में रहती है या रह चुकी है.कई महिलाएं जो घरेलु हिंसा से पीड़ित है वे अपनी आप बीती सुनाती हैं.अत: इन सारी समस्याओं से निपटने के लिए एक नागरिक कानून होना चाहिए।