जीतेन्द्र कुमार दुमका से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है की राजनितिक दल सुचना के अधिकार का विरोध क्यों कर रही है क्या आम जनता जो लोकतंत्र में अहम घटक है राजनितिक दलो के आर्थिक स्रोतों के जानने के हक़दार नहीं है वही मतदाता जो प्रतिनिधि को चुनाव में जितवाकर संसद तक लाती है क्या उन्हें सब कुछ जानने का अधिकार नहीं है की वे अपने राजनितिक पार्टियों की जानकारी रखे की कौन गलत है और कौन सही जब हमारे नेतागण जो दिन रात भ्रस्टाचार के बारे में विरोध करते नजर आते है तो उन्हे सुचना के अधिकार के दायरे में आने से एतराज क्यों है इसकी वजह तो साफ दिखती है की पार्टी उन स्रोतों को छिपाना चाहती है जो उन्हें चंदे के रूप में लाखो-करोडो रुपये मिलते है पार्टियों को यह समझना होगा की लोकतंत्र में पारदर्शिता जरुरी है जनता अब मुर्ख नहीं रही जनता जानना चाहती है की राजनितिक पार्टियों के प्रत्याशियों को जिन्हें वे वोट देती है क्या वे अपराधियों के मार्फ़त तो नहीं पैसे गलत ढंग से पार्टी को बनाने में लगा रहे है.