मंदी पर चर्चा का सफर अपने आखिरी मुकाम तक पहुंच गया है. यह तक पहुंचते हुए हमने श्रमिकों के दर्द, किसानों की तकलीफ, युवाओं की चिंता और परिवार के दुख..जैसे हर विषय पर बात की. जाहिर सी बात है कि मंदी ने कई परिवारों से उनका सुकून छीना है. लोग सुबह की रोटी खाने के बाद शाम की रोटी की उम्मीद लिए बैठे हैं और दुख की बात ये है कि देश की सरकारी, सरकारी संस्थाएं राजनीति से समय ही नहीं निकाल पा रही हैं. मोबाइलवाणी के अभियान "मंदी का मकड़जाल" में हिस्सा लेने वाले श्रोताओं ने अपनी मांगें सरकार के सामने रखी हैं. तो चलिए सुनते हैं आखिर मंदी से परेशान जनता देश की सरकार से क्या मांग रही है?