झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि किसान स्वयं दिन-रात मेहनत कर फसल उपजाने में लगे रहते हैं। और महंगी एवं उन्नत किस्म के बीज को खरीद कर फसलों में लगाते हैं। परन्तु उनकी मेहनत को प्राकृतिक आपदा नष्ट कर देती है। दुबारा मेहनत कर किसान फसलों का उपजाऊ करते हैं तो उन्हें बेचने में काफी कष्ट सहना पड़ता है। जब किसान अनाजों को लेकर मंडी में जाते हैं तो उन्हें भूखे प्यासे मंडी में ही रह कर 10 से 12 घंटा समय बिताना पड़ता है। यह तो कहा जाता है कि किसानो के लिए मंडियों में भोजन पानी की व्यवस्था की जाएगी किन्तु यह बाते केवल कागजों में ही सिमट कर रह गई है। इस तरह की घोषणा धरातल पर कहीं भी नहीं देखने को मिलता है। कई मंडियों में बिचौलिया हावी होने के कारण भी किसानो को अनाज बेचने में काफी परेशानी होती है। किसानो के मेहनत को सही परिणाम मिले इसके लिए सरकार द्वारा समय के अनुसार फसलों का एक उचित समय लागु करना चाहिए ताकि बिचौलियों से किसानो को राहत मिल सके। किसानो के ऊपर लिखी गई कविता किसान है सबके अन दाता,मेहनत करना उन्हें है आता। सर्दी गर्मी और बरसात,मेहनत करते हैं दिन रात। इनकी ना हो इच्छा अधूरी, मांगे हो इनकी भी पूरी। यह कविता तभी सत्य होगी जब उन्हें उनके मेहनत का सही मूल्य मिल सकेगा।