झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला से जे.एम रंगीला मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जब तक भ्रष्टाचार का सफाया नहीं होगा तब तक स्वछता का किया जा रहा प्रयास कामगार साबित नहीं होगा। जिस प्रकार स्वछता व स्वास्थ्य एक दूसरे का पूरक हैं ठीक उसी प्रकार भ्रष्टाचार व योजना भी एक दूसरे का पूरक हैं। भ्रष्टाचार को मिटाए बिना योजनाओं का लाभ आम जनता को नहीं मिल सकता। उनके ज़िला के प्रखंडों में शौचालय का निर्माण किया गया हैं परन्तु इसमें भी भ्रष्टाचार हुआ हैं। शौचालय निर्माण हेतु मिलने वाली बारह हज़ार की राशि पर्याप्त नहीं हैं। इस राशि से केवल शौचालय का ढांचा तैयार किया जा सकता हैं। इस राशि द्वारा बहुत जगहों में शौचालय का ढांचा तक ही खड़ा हो पाया हैं। शौचालय का पूर्णरूप से निर्माण हेतु लगभग तीस हज़ार की सहायता राशि की आवश्यता पड़ेगी। अभी जो बारह हज़ार निर्माण कार्य में उपलब्ध कराए जाते हैं उनमे से दो से ढ़ाई हज़ार कमीशन के रूप में ले लिया जाता हैं। सभी अनुमान लगा ही सकते हैं कि बची-बचाई नौ हज़ार की राशि में किस तरह की शौचालय बन कर तैयार होगी। आज भी लोग खुले में शौच करने को विवश हैं। कारण हैं शौचालय के अचानक गिर जाने का भय। सरकारी महकमें के दबाव से कई प्रखंडों को ओ.डी.एफ तो घोषित कर दिया गया हैं परन्तु स्वछता के प्रति लोग आज भी जागरूक नहीं हैं।