झारखण्ड राज्य के धनबाद ज़िला से तफ़ाज़िल आज़ाद झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी ताकत आगे बढ़ने से खुद को रोक नहीं सकती।यहाँ बात हो रही हैं उन तमाम दिव्यांग व्यक्तियों की जो अपनी अपनी कमज़ोरी से जीत कर आगे बढ़ते हुए इसी विकलांगता को अपनी ताक़त बना लेते हैं।ऐसे लोग किसी भी बाधा को अपनी क़ामयाबी का रोड़ा नहीं बनने देते । इसी सन्दर्भ में इन्होने तोपचांची प्रखंड अंतर्गत कुंदरसा पंचायत के आज़ाद नगर टोला निवासी अलीजान अंसारी की कहानी सुनाई । दुर्भाग्यवश अंसारी जी जब पच्चीस साल के थे तो ,वो लकवा की चपेट में आने से कमर के निचले हिस्से से अपाहिज हो गए। पर ये अपंगता उनकी जिम्मेदारियों के आगे नहीं आ पाई।बचपन में ही पिता को खोने के बाद परिवार की ज़िम्मेदारी उन पर थी।मुंबई में कार्यरत परिवार का एकलौता कमाऊ बेटा अंसारी जी जब अपंगता का शिकार हुए तब निराशा आई पर इस निराशा को उन्होंने अपनी कमज़ोरी नहीं बनाया, हिम्मत लाई और घर लौट कर आए फिर सिलाई का काम सिख कर अभी अपने परिवार का लालन-पोषण कर रहे हैं। सरकार द्वारा विकलांगों की सहयोग हेतु कई योजनाएँ लागु किए गए हैं परन्तु बिचौलियों का प्रभाव इस पर भी हावी हैं। अंसारी जी द्वारा भी सरकारी लाभ लेने के लिए प्रखंड कार्यालय में कई कागज़ात जमा करवाए गए परन्तु बिचौलिए अड़ंगा बन बैठे और उन्हें निराशा हाथ लगी।