झारखंड राज्य के बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि युवाओं में बढ़ती नशाखोरी से आस-पास के माहौल में बुरा प्रभाव डालने के साथ-साथ बच्चे भी बड़ों का नक़ल करना प्रारंभ कर देते हैं। जो घर परिवार के साथ-साथ उसके स्वस्थ जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालता है। युवाओं के नशेड़ी बनने से वे अपने परिवार और अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना भूल जाते हैं। और कई गलत कार्य को अंजाम दे बैठते हैं। जिसका गहरा असर समाज में भी देखने को मिलता है। युवाओं में नशा की लत के पिछे घर वाले भी जिम्मेदार होते हैं। क्योंकि अभिभावक अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के ऊपर खास ध्यान नहीं देते हैं। जिसकी वजह से युवा धीरे-धीरे नशा के लत में लीन होते जाते हैं। किसी प्रकार से अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले जनता अपने बच्चों को अपने देखरेख में नहीं रख पाते और ना ही बेहतर भविष्य दे पाते हैं। भारत के युवाओं को नशीली चीजों से छुटकारा दिलाने के लिए सबसे पहले दुकानों में बिकने वाले बीड़ी,गुटखा,तम्बाकू तथा अन्य प्रकार के नशीली चोजों को रखने पर प्रतिबन्ध लगाने की जरुरत है।