झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से जे एम रंगीला बताते है कि झारखण्ड में खेती मानसून पर निर्भर रहती है।लेकिन किसान कुआँ खोद कर सिंचाई कर सब्जी का उत्पादन करतें हैं।परन्तु इतनी मेहनत करने के बाद भी किसान सब्जी मंडी के अभाव के कारण उत्पादित किया हुआ सब्जी को औने -पौने मूल्यों में बेचने को मजबूर हो जाते हैं। जिस कारण उत्पादित किया हुआ सब्जी का लागत मूल्य भी नहीं मिल पाता है फलस्वरूप किसानों को निराशा का भाव जीना पड़ता है।क्योंकि किसानों के भी परिवार होते है और उन्हें परिवार का भरण -पोषण करने की चिंता बनी रहती है।तथा उत्पादन के लिए कई किसान बैंक से ऋण भी लेते हैं जिसका भरपाई करने की चिंता भी उन्हें अलग सताती है। अतः सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों को सरकार की ओर से सहायता के रूप कृषि प्रशिक्षण दिया जाये तथा सरकारी सब्जी मंडी की उचित व्यवस्था की जाये ताकि किसान आत्मानिर्भर हो सकें । अक्सर सरकार केवल किसानों की आय दोगुनी करने की ढिंढोरा पीटती है।सरकार केवल बड़े बड़े पूंजीपतियों के कर्ज को माफ करने में लगी रहती है, जिनका कर्ज लाखो करोड़ होता है।अगर सरकार का ध्यान 25 फीसदी किसान पर हो तो किसान को आत्मानिर्भर होने से कोई रोक नहीं सकता है, परंतु सरकार बात किसानों की करती है लेकिन काम कॉरपोरेट घराने की करती है।