झारखंड राज्य के धनबाद ज़िला प्रखंड बाघमारा से बीरबल महतो जी झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से कहते हैं, कि विद्यालय का अर्थ ज्ञान का घर है, जहाँ बच्चे जा कर ज्ञान प्राप्त कर अपना भविष्य तय करते हैं। साक्षरता के तहत 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए 15 से 20 बच्चों की संख्या पर एक विद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया था। परन्तु वर्तमान सरकार कम बच्चों वाले विद्यालयों का विलय करना चाहते हैं। यह उचित नहीं है क्योंकि यदि विद्यालय विलय हो जाता है तो कई बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। साथ ही अभिभावकों को भी अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। अधिकांश बच्चे जो ग़रीब परिवार से होते हैं वही सरकारी विद्यालय में पढ़ने जाते हैं। यदि विद्यालय विलय होता यही तो बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों पर भी बुरा असर पड़ेगा। सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय अनुचित है। अतः सभी को एक साथ मिल कर विद्यालय विलय पर रोक लगाना चाहिए।