केदार यादव,जिला गिरिडीह के धनवार प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है की मलेरिया कोई नई बात नहीं है। कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है। कुछ वर्ष पूर्व अगर किसी को मलेरिया होती थी तो गांव के लोग जानकारी के अभाव में उसे एकाही कहते थे। इसमें जाड़ा,बुखार और सर्दी खासी रहता था। एकाही कहना लोगो के लिए अंधविश्वास था जिसमे लोग झाड़-फुक करते थे। लेकिन जब मलेरिया का सृजन हुआ तो मलेरिया विभाग ने इसके लिए कार्यक्रम चलाया जिसमे प्रत्येक प्रखंड में एक सुपर वाईजर होता था। पंचायत में एक डॉक्टर होता था, जो खून का जाँच करता था। उसमे बाद पीड़िता को कुनेन की दवा दी जाती थी। मलेरिया परंपरागत समय से चला आ रहा है।