जिला धनबाद,प्रखण्ड बाघमारा से बीरबल महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि हमारे राज्य एवम देश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया गया है,ताकि महिलायें देश,राज्य,जिला,प्रखण्ड,पंचायत में भागीदार बने और देश एवम पंचायत का विकास कर सके।महिलाओं को 50% आरक्षण मुखिया,वार्ड पंचायत समिति,जिला परिषद,आदि पदों के लिए दिया गया है,लेकिन जिस उद्देश्य से आरक्षण दिया गया है उसके अनुरूप काम नहीं हो रहा है।बाघमारा प्रखण्ड,धनबाद प्रखण्ड आदि जितने भी हमारे झारखण्ड राज्य में प्रखण्ड है,उसमे महिला मुखिया,पंचायत समिति,जिला परिषद् के लिए चुनी तो गयी है, लेकिन उनके रिश्तेदार या पति उनका कार्यभार संभालते है।इसमे यह भी देखा गया है की कुछ प्रतिनिधि अंगूठा छाप होते है फिर भी महिला आरक्षण के कारण खड़ी हो जाती है और जीत भी जाती है किन्तु ऐसी महिला प्रतिनिधि ना तो कोई विकास का कार्य कर सकती है और ना ही पंचायत में किसी प्रकार का कोई फैसला ले पाती है।कुल मिलाकर महिलायें अपना अधिकार नहीं ले पाती है,इसलिए पंचायत तथा राज्य स्तर पर एक ऐसा कानून बनना चाहिए जो पढ़ी-लिखी शिक्षित महिला हो या पुरुष हो वही लोग पंचायत चुनाव में भाग ले सके।इसके लिए कम-से-कम मैट्रिक पास होना चाहिए ताकि उन्हें विकास की जानकारी मिले तो वो खुद अपनी डायरी में लिख सके।