जिला बोकारो,प्रखंड चंदरपुरा से नरेश महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि यहाँ एक तरफ आई आई टी और आई आई एम जैसे बड़े शिक्षण संस्थान है, तो दूसरी ओर ऐसे शिक्षण संस्थान भी है जहाँ से स्नातक तो क्या स्नाक्तोउत्तर की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को इतना भी ज्ञान नहीं होता है कि वे कौशल वाला काम कर सके। तीसरी और सबसे बड़ी श्रेणी उन नवजवानों की है,जिनकी औपचारिक शिक्षा लगभग नही के बराबर है। पिछले लंबे समय से शिक्षा की उपेक्षा की है और अब भी की जा रही है। इसका परिणाम यह निकला है बहुत बड़ी संख्या में नवयुवक नई अर्थव्यवस्था में रोजगार पाने के योग्य ही नही है। यह इसी बात से स्पष्ट होता है कि यंहा पर प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर के शिक्षा में गुणवत्ता के घोर आभाव है। वर्तमान में ज्ञान के साथ साथ रोजगार उन्मुक्त शिक्षा की भी जरुरत है,अधिकांस सरकारी स्कुलो में पढ़ने वाले बच्चे दोपहर के भोजन के लिए स्कूल भेजे जाते हैं,तत्पश्चात शिक्षक भी अपने समय को बिता कर तनख्वा पाने की आशा में रहते हैं। इन बच्चो का भविष्य खाई में चला जा रहा है,इसकी चिंता न ही किसी जनप्रतिनिधि को है और न ही किसी पंचायत प्रतिनिधि को। इस सम्बन्ध में कई जनप्रतिनिधिओ का ध्यान वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की ओर करने की कोशिश की गई लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान इस ओर नही गया