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बिहार राज्य के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड से ज्योति कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं, कि वर्तमान में जल संकट गंभीर रूप धारण कर लिया है। जल की कीमत उनसे पूछें, जो इसकी खोज में दूर-दूर तक भटक रहे हैं।आज मरुस्थल में लोग रूपए, पैसे और भोजन के बिना तो रह सकता है लेकिन पानी के बिना कभी नहीं। आख़िर हमने ग़लती कहाँ की हमने अपने ज्ञान का उपयोग पानी को बरबाद करने में किया है। साथ ही धरती की छाती में मशीनों से छेद बना कर उसके अंदर छिपे हुए भूमिगत जल का अनियंत्रित तरीके से दोहन किया है। हमने कभी भी इस जल को दोबारा भूमि में पहुंचाने का प्रयास नहीं किया बल्कि कुआँ और नलकूपों की गहराई बढ़ती चली गई। सदियों से हमारे बुजुर्ग पीढ़ी ने यह कहा जाता है कि खेतों का गहना है पानी, धरती माँ की कोख़ में है जल का भंडारा। फिर भी बून्द-बून्द को तरसते हैं हम लाचार,जल के दोहन के लिए लगा दिया हमने सब ज्ञान।

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