सरकारी विद्यालय के बच्चों को एक वक्त का भरपेट भोजन मिले साथ ही उसे कुपोषण से भी मुक्ति दिलाया जा सके इसी उद्देश्य के साथ सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना मिड डे मील की शुरुआत की थी लेकिन यह योजना वर्तमान समय में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है जहां तक इस योजना में कार्य कर रहे रसोइए की है तो इन्हें पारिश्रमिक के रूप में सरकार द्वारा निर्धारित दैनिक भत्ता भी नहीं दिया जाता राज्य में लगभग ढाई लाख की संख्या में रसोई में कार्यरत हैं रसोइए की आमदनी पर उनका परिवार निर्भर करता है एक तो महज 12 साल की राशि प्रतिमाह निर्धारित की गई वह भी नियमित रूप से नहीं मिलता है सरकार की यह नीति पूरी तरह से दोषपूर्ण है मानदेय निर्धारित करने से पूर्व या विचार करना चाहिए कि उन्हें दैनिक भत्ता के अनुरूप मानदेय दे रहे हैं अथवा नहीं