बिहार राज्य के सिकंदरा प्रखंड से ज्योति कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं, कि आज के व्यस्त जिंदगी में सुबह होने से पहले ही सड़कों पर गाड़ियाँ रेंगनी शुरू हो जाती है। लोग अपनी मंजिल को पाने के लिए पुरब और पश्चिम की ओर कोई पैसा कमाने तो कोई रोजगार की तलाश में निकल जाते हैं। अपने-अपने स्तर से इस कर्म भूमि पर हर कोई जिंदगी की जंग लड़ रहा है। लोग दो वक्त की रोटी के खातिर झूठ-सच बोल कर अपना काम तो कर लेते हैं। पर क्या कोई भी गरीबों के लिए थोड़ा वक्त निकाल कर उनके लिए थोड़ी खुशियाँ लाने की कोशिश करता है। हर दिन लोगों की नजरें मानसिक एवं शारीरिक रूप से लचर लोगों पर पड़ती है। ऐसे लोग जब मदद के लिए आते हैं, तो लोग उनका मदद करने के बजाय धुत्कार कर भगा देते हैं। क्या लोगों में इतना ही मानवता बची है। इसपर विचार करने की जरुरत है।