बिहार के जिला जमुई के सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मकर सक्रांति के अवसर पर तिलकुट के इस्तेमालका का अपना एक विशेष महत्व है।और इसी वजह से मकर संक्रांति को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।तिलकुट विक्रेताओं के अनुसार दूसरे प्रदेश में रहने वाले अपने सगे-संबंधियों के लिए भी जिले में बनने वाले अलग-अलग तिलकुट को सन्देश के रूप में ले जाते है।विद्वानों की माने तो मकर संक्रांति के अवसर पर तिल या तिल से बने सामग्रियों के इस्तेमाल के पीछे कई प्रकार की कहानियां प्रचलित है। लेकिन मूल रूप से वैज्ञानिक कारण यह है की तिल, गुड़ और चीनी का तासीर गर्म होती है।इसलिए इसके मिश्रण से बनने वाले तिलकुट या अन्य सामग्री शरद ऋतु में स्वास्थ्य के लाभदायी होता है।जानकारों की माने तो विगत तीस से पैंतीस वर्ष पूर्व से ही लोगों के द्वारा मकर संक्रांति के अवसर पर तिलकुट का इस्तेमाल किया जा रहा है।