बिहार के जिला जमुई सिकंदरा से ज्योति कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि हम अपने माता-पिता से जीवन में उपयोगी हर कर्मिय एवं अनुकर्मीय तथ्यों को सीखते जरूर है पर अपने व्यावहारिक जीवन में प्रयोग नहीं करते। आज युवा हो या पुरुष सभी अपने नैतिक जिम्मेदारियों से भागते नजर आते हैं। देखा जाता है कि ट्रेन की बोगियों में बैठे युवा ,क्या बेसहारे पुरुषों या महिलाओं को बैठने की जगह देते हैं? क्या वे बिजली का बिल देने के लिए कतार में खड़े बूढ़े बुजुर्ग या महिलाओं की मदद करते हैं ? आखिर वे भी हम में से किन्ही के माता-पिता हैं। मानव स्वभव को बदलना सम्भव है लेकिन इसे हम और आप मिल कर ही संभव कर सकते है,जब हर व्यक्ति अपने संस्कार व सरोकार को सम्मान देना सिख लेंगे।