जिला जमुई प्रखंड सिकंदरा से ज्योति कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है की एक समय था जब घर में लड़की जन्म लेती थी तो लोग कहते थे की घर में लड़की का आगमन हुआ है । आज वक्त बदल गया है ,अभी के समय में अधिकतर लोग लड़की को जन्म लेने ही नहीं देते।और अगर किसी माँ की हिम्मत की बदौलत किसी लड़की का जन्म भी होता है तो लोग उन्हें ना जाने क्या क्या कहते है।समाज क्यों भूल जाता है की हमारा अस्तित्व किसी लड़की से ही है। यही वजह है की प्रति हजार लड़को पर मात्र 933 लड़की ही रह गयी है। और लड़को की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।हमारा समाज लड़कियों के साथ ही भेद भाव क्यों करता है।दुनिया आज चांद पहुंच गयी है।हमर देश बहुत तेजी से विकास कर रहा है ,फिर भी हमारी मानसिकता वही की वही है।हम आज भी लड़कियों को बोझ समझते है।जब एक लड़की राष्ट्रपति बन सकती है तो लड़की के साथ भेद-भाव क्यों।