चतरा को झारखण्ड या छोटा नागपुर का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। 1857 के विद्रोह के दौरान छोटानागपुर में विद्रोहियों और ब्रिटिशों के बीच लड़ा जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई ‘चतरा की लड़ाई’ थी। चतरा झारखंड राज्य की राजधानी से रांची जिले से करीब 124 किलोमीटर दूर है। चतरा में आप सड़क माध्यम के द्वारा पहुंच सकते है। और क्या क्या घूमने लायक है चतरा ज़िले में , ये जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

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दरभंगा की धरती में उपजे मछली , मखाना और पान का स्वाद तो देश - दुनिया के करोड़ों खाने वाले लोगों के दिलों पर राज करता है. जब हम यहाँ के सड़को पर घूम रहे थे तो लगभग सभी के मुँह में पान दबाएं देखा। तो भैया , हमें भी पान खाने की इच्छा हुई और हम जा पहुंचे एक पान की दूकान पर और ये जानना चाहा कि दरभंगा के लोगो के जीवन में पान कितना ज़रूरी है ? आप भी अगर जानना चाहते है तो सुने ये कार्यक्रम ....

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दरभंगा भारत का एकमात्र शहर है, जिसके एक परिसर में दो विश्वविद्यालय हैं । पहला है कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा और दूसरा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा। आपको ये भी बता दें कि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय बिहार का पहला और भारत का दूसरा संस्कृत विश्वविद्यालय है। . यूँ तो दरभंगा में घूमने की चीज़े बहुत सी है। महाराजा कामेश्वर सिंह द्वारा निर्मित किला, स्थान और अन्य कई इमारतें और मंदिर शहर में प्रमुख पर्यटन आकर्षण के रूप में जाने जाते हैं। दरभंगा के बारे में और ज्यादा जानने के लिए सुने चलो चलें ....

आधुनिकता का नया नया लबादा ओढ़ रहे अयोध्या-फैजाबाद में पुराना कुछ नहीं बचा है, जो बचा है वह इतना टेढ़ा मेढ़ा है कि उसके बारे में न कुछ कहा जाए और न कुछ पूजा जाए तो बढ़िया है, लेकिन हम बता देते हैं ताकि आपको किसी तरह की परेशानी न हो, जाना था जापान- पहुंच गये चीन वाली कहावत तो सुनी ही होगी, यही हाल यहां का है, तो जाने से पहले तय कर लें कि आपको कहां जाना है, अयोध्या या फिर अयोध्या धाम, क्योंकि आप बार बार तो यहां आएंगे नहीं, तो फिर शान-ए-अवध को पूरी तरह से देख और जान कर जाइये। ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को सुने...

फैजाबाद, शान ए अवध का ऐसा नमूना जो लखनऊ से पहले बनाया गया है, खूबसूरत इतना की एक झलक में नजर ठहर जाए, घंटाघर पर बनी मस्जिद या फिर उसके सामने बना लॉयड दरवाजा फैजाबाद के प्रतीक चिन्ह हैं, बेतहाशा भीड़ से भरे बाजार की चिल्लम चिल्ली मैं, चूड़ी बेचता दुकानदार या फिर आलू चाट के लिए आवाज देता ठेलिया वाला। सब कुछ एक से एक उम्मदा बस जरूरत है उस नजर की जो आपको ठहरा दे, रोक दे और कहे की गुरु यही तो चाहिए था। मालूम नहीं की क्या चाहिए था लेकिन बस यही तो एक जगह थी प्रेमिका के लिए चूड़ी, पत्नी के लिए साड़ी, बच्चों के लिए जूते और बाप के लिए कुर्ता पजामा यहां सब कुछ मिलेगा।

दोस्तों, “चलो चलें" इस एपिसोड में में आप सुनेंगे अयोध्या के बारे में, जो अयोध्या के साथ ही साकेत और अवधपुरी भी है। यहाँ आप जानेंगे अयोध्या शहर के इतिहास से लेकर भूगोल तक, खाने के ठिकानों से लेकर घूमने की जगहों तक सबकुछ, जानेंगे उस शहर के बारे में उस शहर के लोगों से कि वे क्या खाते हैं और कहां घूमते हैं ? ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें...

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साथियों मोबाइल वाणी लेकर आ रहा है, घुमक्कड़ी का नया कार्यक्रम चलो चलें। जिसमें आप सुनेगें आपके शहर गांव कस्बों की एक नए रोचक अंदाज में घुमक्कड़ी।