राज्य दिल्ली से महेश कुमार सोनी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि इस भागती जिंदगी में माता-पिता के पास बहुत कम समय है।बहुत सारे माता -पिता पढ़े लिखे नहीं है इसलिए भी वे अपने बच्चो के बारे में उनके स्कुल के बारे में जानने में असमर्थ रहते है। उन्हें स्कुल की गतिविधियों के बारे में पता नहीं रहता कि स्कुल में बच्चो को क्या पढ़ाया जा रहा है।कई माता-पिता दिन भर दफ्तरों के कार्यो में व्यस्त रहते है। कभी दफ्तरों के तनाव और कभी घर के तनाव में रहने के कारण वे बच्चो के गतिविधियों से अनभिज्ञ रहते है कि वे स्कुल में क्या सिख रहे है।माता - पिता को उनके बच्चो के बारे में जानना चाहिए और प्रतिदिन उन्हें समय देना चाहिए जिससे उनके बच्चो का शिक्षा में सुधार आए।