नया साल शुरू हो चुका है लेकिन गुजरे हुए साल के आखिरी कुछ दिन काफी मुश्किलों भरे रहे. सियासत से लेकर समाज तक हर जगह बडे—बडे परिवर्तन देखने मिले और कुछ बदलाव ऐसे थे जिन्होंने आंदोलन का रूप ले लिया.बात हो रही है सीएए और एनआरसी के विरोध में देश भर में हो रहे आंदोलनों की. इस वक्त हमारे देश और एकता पर एक अजीब का असमंजस पैदा हो गया है. कई लोग सच के साथ है तो कुछ अफवाहों का शिकार हो रहे हैं. ऐसे मौके पर हम जनता से जानना चाहते हैं कि वो क्या महसूस कर रही है?

नए साल में नए उम्मीद के कार्यक्रम शामिल हुए मोबाइल वाणी के नियमित श्रोता और अपनी बताई उम्मीदे अपनी जुवानी

नया साल शुरू होने में अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं. उसके बाद साल 2019 केवल हमारी यादों में रह जाएगा. इस गुजरते हुए साल में हम सबने अपने आसपास, अपने जीवन में बहुत कुछ देखा है. लेकिन अपने सारे अच्छे—बुरे अनुभवों को साथ लेकर हम नए साल में प्रवेश करने जा रहे हैं. जैसे नया दिन नई उम्मीद लाता है वैसे ही नया साल नया मौका लेकर आया है. यह मौका है अपने जीवन में बदलाव लाने का, यह मौका अपने समाज को बेहतर बनाने का, यह मौका गिरकर फिर सम्हलने का...

साल 2020 शुरू होने वाला है. जो काम इस साल अधूरे रह गए हैं, वे नए साल में पूरे होने की उम्मीद है. जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर इस बार का विषय है— नया साल, नया संकल्प, नया बदलाव. सुनने के लिए सूने ऑडियो...

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सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है. यही वो वक्त है जब लोग परिवार के साथ बैठकर तरह—तरह के पकवान खाना पसंद करते हैं और जब पकवान की बात हो तो प्याज, टमाटर और आलू का होना बहुत जरूरी है. लेकिन जिस तरह से इनके दाम आसमान पर पहुंच गए हैं उससे उम्मीद कम ही है, कि लोग इस बार चटपटे व्यंजनों का लुत्फ उठा पा रहे होंगे। वहीं दूसरी ओर किसानों के हाथ अब भी खाली हैं। यानि आम जनता महंगे दामों पर प्याज और बाकी सब्जियां खरीद रही है लेकिन उसका मुनाफा किसानों को नहीं मिल रहा है। दोनों पक्षों की समस्याओं को सामने लाने के लिए मोबाइलवाणी ने इस बार जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर— महंगे प्याज—टमाटर, क्या सूख पाएंगे किसानों के आंसू!, विषय पर बात की। जहां आम आदमी से लेकर किसानों और व्यापारियों ने भी अपनी राय रखी।अगर आप भी इस विषय पर अपना पक्ष रखना चाहते हैं तो अपनी बात हमारे साथ साझा करें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नम्बर तीन। इसके साथ ही अन्य रोचक जानकारियों के लिए सुनते रहें मोबाइलवाणी एप।

एक तरफ लोग मंदी की मार झेल रहे हैं और दूसरी ओर आसमान छूती मंहगाई ने कमर तोड़ दी है. बेरोजगारी के कारण आम जनता पहले ही हलाकान थी और अब प्याज—टमाटर की बढ़ती कीमतों ने उनके खाने की थाली और भी सूनी कर दी है. आलम ये है कि लोग सब्जियां खरीदने से पहले दो बार सोच रहे हैं. लेकिन अगर सिक्के के दूसरे पहलू पर नजर डाले तो इस मंहगाई से किसानों को मुनाफा होना चाहिए.ब्जियों के दाम बढ़ा देने से किसानों को फायदा होगा? या फिर केवल सरकारी खजाने ही भरेंगे. इसके साथ ही हमें बताएं कि आपके यहां प्याज, आलू और टमाटर जैसी फसलों के भंडार के लिए उचित व्यवस्था है या नहीं? और प्याज की जमाखोरी के बारे में आप क्या सोचते हैं?

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इस बार हमने जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर बात की चालान काटने की नई व्यवस्था के बारे में। जिसमें हमने लोगों से पूछा कि क्या चालान काटने सुधर जाएगी यातायात व्यवस्था? दोस्तों, यह सवाल इन दिनों देश के हर नागरिक के मन में उठ रहा है। क्योंकि बीते कुछ महीनों से देशभर में यातायात पुलिस वाहन चालकों के जोरशोर से चालान काट रही है। वैसे यह सख्ती यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए की गई लेकिन लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर वाहन चालकों के कपड़े और चप्पल पहनने के तौर तरीके पर आपत्ति उठाने वाली यातायात पुलिस इसके जरिए कैसे वाहन दुर्घटनाओं पर काबू पा सकती है? यातायात पुलिस के इस रवैए पर हमने जनता से उनकी राय जानी। लोगों को नियमों का पालन करने से परहेज नहीं है, लेकिन बदले में वे अच्छी सड़कें और ट्रैफिक जाम से मुक्ति चाहते हैं। अगर आप भी इस विषय पर अपना पक्ष रखना चाहते हैं तो अपनी बात हमारे साथ साझा करें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नम्बर तीन। इसके साथ ही अन्य रोचक जानकारियों के लिए सुनते रहें मोबाइलवाणी एप।