हां , मैं मुस्ताक रिपोर्टर जौलपुर थाना नानपुर जिला सीतामढ़ी हूं , मैं आपको बता दूं कि आज का मौसम बहुत अच्छा है । आज 9 फरवरी है और सूरज भी सुबह एक सुखद समय पर अपनी जगह से निकल रहा है और मैं आपको बता दूं कि मैंने आपको ऐसा ही कहा था । अगर बच्चे को नहाना सिखाया जाए तो कहा जाता है कि पिछली मेज संख्या तीन में कहा गया था कि जबर देर पे इसाक को हलाकत कहा जाता है , इसलिए इसमें जबर का , जबर का भी कहा गया था । अब मैं उसके जेर से भी कहता हूं कि जेर को भी हमजाहजेर बजर भी की तरह मारुप पढ़े मझूद आवाज से बचाया जाना चाहिए । तजेरसी साजेर सी जीम जेर जी हाजेर ही खजेर सी ईवीडी दादिफा ऐसे बच्चों को लोगों को सिखाया जाता है यानी जीर । को भी मारुप पड़ जाए और मजबूत आवाज भी मचा जाए और उससे परे पेश आता है यानी तख्तेर नंबर तीनी का है जब जेर पेश तो जेर का भी बतई दी है और पेश का क्या आता है पेश को भी मारुप पड़ जाए और मजबूत आवाज । हमजा खुसरो या पेशदु ता पेशतु जैसी चीजों से बचें जैसे रुसुदु सुदु मूर्खतापूर्ण काम करेगा तो राम पेशरु सिंपेसु रुसु रामपेश्दु ।