दोस्तों, बीते कुछ सालों में भारत के हर शहर में स्कूलों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि एडमिशन का फैसला लेना आसान नहीं होता है. हर कोई अपने स्कूल को बेस्ट दिखाने की होड़ में लगा हुआ है. इस वजह से किसी भी स्कूल में बच्चे का एडमिशन करवाने से पहले माँ-बाप को कई स्तरों पर गहरी खोज बिन करनी पड़ती है. लेकिन ये खोज बिन या पड़ताल करते है शहर में रहने वाले माँ बाप। गाँव आज भी हमारे नक़्शे से गायब है या फिर मनोज कुमार की फिल्मो के जरिए हम गाँव को गाँव की तरह खोजने की कोशिश में लगे हुए है। क्या आपने कभी वोट देने अपने नुमाईंदों से पूछा है कि आपके क्षेत्र के स्कूलों की स्थिति ऐसी क्यों है ? बच्चे जो आपके भविष्य है उनके भविष्य का क्या होगा ? या किसी भी पार्टी को वोट देने से पहले आपको अपने बच्चे के भविष्य को लेकर यह ख़्याल आता है ? बात साफ़ है कि कम्पनियों के सरकारों के प्रवक्ता आपको इस और सोचने ही नहीं देंगे। वो चाहते है कि आप उनका झंडा उठाये, टोपी पहले और भीड़ में शामिल होकर एक-दूसरे पर चिल्लाते रहे और वो अपने बच्चों को विदेशो में पढ़ाते रहे । याद रखिए जो सरकार या पार्टी आपका या आपके पारवार कहा भविष्य खराब कर रहा है वो देश का अच्छा कैसे कर सकता है , उनके केंद्र में आप नहीं हैं तो देश भी नहीं होगा ? खैर.. ये तो आपके निर्णय की बात है तब तक, आप हमें बताइए कि ***** आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कैसी है ? ***** वहां के स्कुल कितने शिक्षक और शिक्षिका आते है ? ***** साथ ही आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को आपके गाँव के स्कूलों में किस तरह की शिक्षा मिल रही है ?
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दोस्तों, सरकारी स्कूलों की बदहाली किससे छुपी है? इसी कारण देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक, पूरी तरह से बाजारवाद में जकड़ गई है। उच्च व मध्यम वर्ग के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। नेताओं और नौकरशाह की बात तो दूर अधिकांश विद्यालय में कार्यरत शिक्षक के बच्चे भी सुविधा संपन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं भला ऐसे में सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा की चिंता किसे होगी? देश के छोटे से छोटे विकास खंड में सरकारी स्कूलों में करोड़ों खर्चे जाते हैं फिर भी उनका स्तर नहीं सुधरता। -------------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? -------------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? -------------और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।
सिकन्दरा प्रखंड के चर्चित धनराज सिंह महाविद्यालय इन दिनों काफी सुर्खियों में है आईये सुनते है मोबाइल वाणी
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बिहार में शिक्षकों की बहाली को लेकर बीपीएससी और शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार के इस फैसले के बाद अब बीएड पास अभ्यर्थी प्राइमरी के टीचर नहीं बन सकेंगे। मंगलवार को शिक्षा विभाग और बीपीएससी के बीच हुई बैठक में यह फैसला लिया गया है। बीपीएससी और शिक्षा विभाग के इस फैसले के बाद शिक्षक बहाली में शामिल 3.90 लाख बीएड पास कैंडिडेट्स के रिजल्ट पर रोक लगा दी गई है। 14 सितंबर को अब सिर्फ डीएलएड का रिजल्ट जारी किया जाएगा।दरअसल, बिहार में 1.70 लाख पदों पर शिक्षकों की बहाली के लिए बीपीएससी की तरफ से भर्ती निकाली गई थी। 24 से 26 अगस्त तक शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन हुआ था। परीक्षा देने के बाद अभ्यर्थियों को नतीजों का बेसब्री से इंतजार है। शिक्षक भर्ती परीक्षा में कक्षा एक से पांचवी तक के लिए 3 लाख 90 हजार बीएड पास अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। कक्षा 1 से 5वीं तक के रिजल्ट पर फिलहाल बीपीएससी ने रोक लगा रखी थी और शिक्षा विभाग से सुझाव मांगे थे। बिहार में शिक्षक नियुक्ति से जुड़े अलग-अलग मुद्दों को लेकर बीपीएससी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बीच मंगलवार को बैठक हुई है। राजस्थान में शिक्षक बहाली के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने प्राइमरी शिक्षक के लिए बीएड की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद बीएड डिग्री धारी प्राइमरी शिक्षक के लिए योग्य नहीं माने जाएंगे। केवल बीटीसी या डीएलएड डिग्री वाले ही पांचवीं कक्षा तक पढ़ाने के लिए पात्र होंगे। BPSC अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने पिछले दिनों कहा था कि कक्षा 9 से 12 तक के कई विषयों में रिक्ति की तुलना में अभ्यर्थियों की संख्या कम है। निर्धारित रिक्ति के 75 प्रतिशत तक रिजल्ट देने की तैयारी है। वैसे कक्षा 9 से 12 तक शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट 25 सितंबर तक जारी होगा। इस माह के अंत तक कक्षा 1 से 5 तक का भी रिजल्ट आ जाएगा।विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में दर्जनों पुरस्कार से लगातार मुॅंगेर का नाम रोशन करने वाले बी0 एड0 कॉलेज के प्रोफेसर डॉ0 अंजनी कुमार सुमन को शिक्षा के क्षेत्र में उनकी विशिष्ट शिक्षा सेवा एवं अनुसंधान में योगदान के लिए दिया गया 'गुरु शिक्षा सम्मान'।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
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