सिकन्दरा प्रखंड बिछबे पंचायत के हुसेनीगंज सामुदायिक भवन में सरसा,नीमा, हुसेनीगंज, पतम्बर के महिलाओं एवं युवाओं के साथ किसान उत्पादक संगठन निर्माण को लेकर बैठक परिवार विकास/चाईल्ड फण्ड इन्टरनेशनल के तत्वावधान में आयोजित किया गया। समन्वयक प्रमोद कुमार राय ने कहा कि आज के समय में किसान उत्पादक संगठन बनाने की आवश्यकता है। जिससे कि कृषि के क्षेत्र में आपको मदद मिलेगा।खाद बीज कृषि यंत्र आदि कम दामों पर सरकार की ओर से मिलेगा। तथा आपके द्वारा किए गए उत्पादन का भी सही मूल्य मिल सकेगा। किसान उत्पादक संगठन बनाने के बारे में एवं संगठन चलाने के नियमों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दिये। कृषि के क्षेत्र में सब्जी उत्पादन, तेलहन एवं धान गेहूं एवं अन्य प्रकार के अन्न उत्पादन, दुग्ध उत्पादन,फल उत्पादन कर आप संगठन के माध्यम से आमदनी बढ़ा सकते हैं। मौके पर धन्नजय कुमार, गजेन्द्र कुमार,मनीष कुमार,सोनू कुमार करीना कुमारी काजल कुमारी मधु कुमारी के अलावे दर्जनों महिलाऐं उपस्थित थीं।

दोस्तों, सरकारी स्कूलों की बदहाली किससे छुपी है? इसी कारण देश की पूरी शिक्षा व्यवस्था, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक, पूरी तरह से बाजारवाद में जकड़ गई है। उच्च व मध्यम वर्ग के बच्चे तो प्राइवेट स्कूलों में अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। नेताओं और नौकरशाह की बात तो दूर अधिकांश विद्यालय में कार्यरत शिक्षक के बच्चे भी सुविधा संपन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई करते हैं भला ऐसे में सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा की चिंता किसे होगी? देश के छोटे से छोटे विकास खंड में सरकारी स्कूलों में करोड़ों खर्चे जाते हैं फिर भी उनका स्तर नहीं सुधरता। -------------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? -------------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? -------------और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

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दोस्तों, एक अनुमान के मुताबिक, हर वर्ष शिक्षा करीब 10 से 12 फीसदी की दर से महंगी होती जा रही है। हर शिक्षण संस्थान प्रत्येक वर्ष अपनी फीस बढ़ाते जा रहे हैं। घर के बाकी खर्चों पर महंगाई के बोझ के मुकाबले शिक्षा के क्षेत्र में महंगाई दोगुनी गति से बढ़ रही है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य में शिक्षा और महंगी ही होगी। आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा का महत्व काफी तेजी से बढ़ रहा है। सरकार का जोर विशेषकर लड़कियों को शिक्षित करने पर है। इससे प्राइमरी व माध्यमिक विद्यालयों तक तो किशोरियां पढ़ लेती हैं, लेकिन आर्थिक विपन्नता के कारण वह उच्च माध्यमिक व उच्च शिक्षा से वंचित हो जाती हैं। बाकि बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ वाला नारा याद ही होगा। खैर, हमलोग नारो के देश में रहते है और नारा लगाते लगाते खुद कब एक नारा बन जायेंगे , पता नहीं। .. तब तक महँगाई के मज़े लीजिए बाकि तो चलिए रहा है ! ----------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के शिक्षा की की स्थिति क्या है ? ----------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? ----------इस बढ़ती महँगाई के कारण शिक्षा पर होने वाला आपका खर्चा कितना बढ़ा है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

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बिहार बोर्ड ने जारी किया एग्जाम की तिथि जिसमें 9th 10th 11th 12th के विद्यार्थी होंगे शामिल

सिकन्दरा प्रखंड के सभी विधालयो में मनाया गया सुरक्षित शनिवार। बच्चों को प्राकृतिक आपदा के प्रति जागरूक किया गया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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रात मे कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय सोनो से 50 लड़कियां हुई फरार। <बच्चियों ने भोजन न मिलने को बताई मुख्य वजह> <वार्डन की अनुपस्थिति में हुई घटना> <विद्यालय के प्रबंधक और संचालक का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार> <प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया> सोनो (जमुई)/ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत एकमात्र आवासीय विद्यालय के रूप में चिन्हित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से पूर्वाहन 4:00 बजे ऐसी घटना घटी जिसने विद्यालयी व्यवस्था से लेकर संचालन पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर दिए। दिनांक 10 सितंबर के प्रातः 4:00 बजे विद्यालय में रहने वाली 50 छात्राएं एक साथ गेट खोलकर विद्यालय से फरार हो गई, मामले की सूचना मिलने के पश्चात विद्यालय की सहायक शिक्षिका और रात्रि प्रहरी ने छात्राओं का पीछा कर उन्हें वापस लाने का भरसक प्रयास किया जो असफल रहा। विद्यालय के रात्रि प्रहरी अविनाश कुमार ने उक्त घटना की सूचना मिलने के पश्चात छात्रों का पीछा करते हुए थाना परिसर के आसपास तीन छात्रों को किसी तरह समझा बुझाकर वापस कराया। विद्यालय में उपस्थित वार्डन का कार्यभार संभाल रही सहायक अंशकालिक शिक्षिका गुड्डी कुमारी सहित उपस्थित बच्चों से जब उक्त मामले को लेकर बात की गई तो उन्होंने बताया कि रात में भोजन नहीं मिलने के कारण सभी को भूखे पेट सोना पड़ा, जिसके कारण सभी छात्राओं ने ऐसा कदम उठाया। विद्यालय संचालन व्यवस्था को लेकर इस तरह की घटना कहीं ना कहीं वार्डन और प्रबंधक के लापरवाह रवैया का प्रतिक है, एक और जहां दूर- दराज क्षेत्रों से आई अनुसूचित जाति/ जनजाति की बच्चियों के माता-पिता संचालक और वार्डन के भरोसे बच्चियों के उज्जवल भविष्य का सपना संजो रहे, वहीं दूसरी और रहने वाली बच्चियों को समय पर भोजन न मिलाना शिक्षा विभाग के प्रबंधन व्यवस्था की खामियां उजागर करता। उक्त मामले को लेकर विद्यालय के प्रबंधक प्रशांत कुमार ने बताया कि बच्चियों का विद्यालय होने के कारण उनकी जिम्मेवारी बाहरी कार्यों को लेकर अधिक है विद्यालय के अंदर समस्त कार्यों की जवाबदेही वार्डन रेखा कुमारी के ऊपर है। वार्डन रेखा कुमारी का इन दिनों छुट्टियों पर रहने के कारण अंशकालिक शिक्षिका गुड्डी कुमारी विद्यालय प्रभार का कार्य देख रही। सहायक शिक्षिका ने भोजन की अव्यवस्था को लेकर दबे स्वर में शिकायत दर्ज करते हुए बताया कि बच्चियों को मेन्यू के अनुसार पौष्टिक भोजन नहीं मिल पाता, कभी -कभार रसोइयों की मनमानी के कारण भोजन नहीं बन पाता। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सीताराम दास से ने बच्चियों द्वारा उठाए गए कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए संचालक और वार्डन से उक्त मामले पर गहन पूछताछ करने की बात कही। घटनाक्रम के पश्चात दर्जनों की संख्या में उपस्थित समाजसेवी, बुद्धिजीवीयों और अभिभावकों ने कस्तूरबा आवासीय विद्यालय के प्रबंधक और वार्डन के लापरवाह रवैया की शिकायत करते हुए बताया कि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विद्यालय की स्थापना की गई, कहीं ना कहीं वह दूर की कौड़ी होती नजर आ रही, दूर दराज से आई बच्चियों के साथ अपनत्व और मित्रवत व्यवहार न किए जाने के कारण भी बच्चियों ने यह कठोर कदम उठाया।