बिहार राज्य के गिद्धौर मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय जी ने युवा छात्र मुकेश कुमार जी से बातचीत की, जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि नाकारात्मक मानसिकता को खत्म कर और समाज और परिवार को जागरुक कर बाल विवाह और भ्रूण हत्या को रोका जा सकता है। माता - पिता को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए। उनको अच्छी शिक्षा देना चाहिए। समाज और परिवार के लोगों को बाल विवाह को रोकने का प्रयास करना चाहिए। कम उम्र में शादी करने के कुछ दिनों के बाद परेशानी होती है। इससे बच्चों का जीवन ख़राब हो जाता है। भ्रूण हत्या बहुत ही गलत है। लड़का और लड़की में भेद - भाव नहीं करना चाहिए। आज महिला हर क्षेत्र में आगे है। उनको बराबर अधिकार देना चाहिए। दहेज़ प्रथा को ख़त्म करना चाहिए। समाज में जारूकता होने पर दहेज़ प्रथा को ख़त्म किया जा सकता है।

बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय जी ने रिटायर्ड पुलिस सब-इंस्पेक्टर श्री नन्दकिशोर पासवान जी से बातचीत की। जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि परिवार और समाज द्वारा जागरूकता लाकर बाल विवाह और भ्रूण हत्या को रोका जा सकता है। आज भी गाँव में जागरूकता की कमी है जिस कारण बाल विवाह के मामले ग्रामीण क्षेत्र आगे है। साथ ही उन्होंने बताया कि समाज में भ्रूण हत्या भी एक बहुत बड़ी समस्या है

बिहार राज्य के जमुई जिला के बरहट प्रखंड से मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने सामाजिक कार्यकर्ता श्री नुनेश्वर यादव से बातचीत की। जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि बाल विवाह को रोकने के लिए सबसे पहले समाज के लोगों को जागरूक करना होगा। बाल विवाह से कई प्रकार के नुक्सान भी होते है। इस मुद्दे को उठाने के लिए कोई तैयार नहीं है , जब की समाज के शिक्षित लोग अगर चाहे तो इसपर लगाम लगाया जा सकता है। समाज के लोग इसकी रोकथाम के लिए एक समिति का गठन कर सकते हैं और बाल विवाह के खिलाफ आवाज़ उठा सकते हैं साथ ही उन्होंने बताया कि शिक्षा के माध्यम से ही समाज को जागरूक किया जा सकता है

बिहार राज्य के जमुई जिलाके गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से शिक्षक कपिलदेव प्रसाद रावत जी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि बालविवाह को अगर नहीं रोका गया तो बहुत जल्दी ही समाज में अन्धकार आ जायेगा। शिक्षा का सही ढंग से उपयोग कर और समाज के प्रबुद्धजनों द्वारा जागरूकता लाकर बाल विवाह और भ्रूण हत्या को खत्म किया जा सकता है। अब इस तकनीकी युग में यह देखा जा रहा है कि गर्भ में लड़का है या लड़की यह आसानी से पता चल जाता है और अगर यह पता चलता है कि यह एक लड़का है तो यह ठीक है और अगर यह एक लड़की है तो गर्भ को नष्ट कर दिया जाता है जो नैतिक और कानूनी रूप से बहुत गलत बात है। इसके रोकथाम के लिए समाज को जागरूक और शिक्षित करना बहुत जरूरी है

बिहार राज्य के गिद्धौर मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने सामाजिक कार्यकर्ता रामचन्द्र पंडित जी से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि लड़कियों के अभिभावक जागरुक होकर और शिक्षा का अलख जगाकर और समाज जागरुक होकर बाल विवाह और भ्रूण हत्या को रोका जा सकता है।

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

साल 2013-2017 के बीच विश्व में लिंग चयन के कारण 142 मिलियन लड़कियां गायब हुई जिनमें से लगभग 4.6 करोड़ लड़कियां भारत में लापता हैं। भारत में पांच साल से कम उम्र की हर नौ में से एक लड़की की मृत्यु होती है जो कि सबसे ज्यादा है। इस रिपोर्ट में एक अध्ययन को आधार बनाते हुए भारत के संदर्भ में यह जानकारी दी गई कि प्रति 1000 लड़कियों पर 13.5 प्रति लड़कियों की मौत प्रसव से पहले ही हो गई। इस रिपोर्ट में प्रकाशित किए गए सभी आंकड़े तो इस बात का प्रमाण है कि नई-नई तकनीकें, तकनीकों में उन्नति और देश की प्रति व्यक्ति आय भी सामाजिक हालातों को नहीं सुधार पा रही हैं । लड़कियों के गायब होने की संख्या, जन्म से पहले उनकी मृत्यु भी कन्या भ्रूण हत्या के साफ संकेत दे रही है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? *----- शिक्षित और विकसित होने के बाद भी भ्रूण हत्या क्यों हो रही है ? *----- और इस लोकसभा चुनाव में महिलाओ से जुड़े मुद्दे , क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ??

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...

सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।