हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

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बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता अमित कुमार सबिता ने प्रवीण मिश्रा से साक्षात्कार लिया जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि बेटियों को पढ़ाना आज के समय में बहुत जरुरी है। बेटियाँ पढ़ेगी तब ही वो अपने आने वाले जीवन में सही निर्णय और अच्छे परिवार का निर्माण कर पायेगी। बेटियाँ अशिक्षित होती हैं,तो उन्हें अपने हक़ और अधिकारों का बिल्कुल नहीं पता होता। ऐसे में उन्हें कई बार शोषण का शिकार होना पड़ता है। बेटियाँ शिक्षित होंगी, तब ही हमारा परिवार फिर समाज साथ ही देश का भी बेहतर विकास हो पायेगा। अभिभावकों को अपनी बेटियों की पढ़ाई के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।

लक्खीसराय जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय, खेमतरणी स्थान की शिक्षिका सरिता कुमारी बतला रही है कि बच्चे और महिलाएं इस देश मे सुरक्षित नही है उनमें असुरक्षा की भावना रहती है जिसे दूर करने के लिए हमे जागरूकता अपने घर से ही शुरू करने की जरूरत है।

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डीलर द्वारा गांव में अनाज हर महीने न बाटने पर युवक ने उठाई आवाज