श्रम अधीक्षक जमुई के निर्देश के आलोक में गठित धावा दल द्वारा सोनो बाजार में छापेमारी अभियान चलाया गया। छापेमारी में सोनो बाजार स्थित प्रतिष्ठान मोहन केक से एक बाल श्रमिक को मुक्त  कराया गया। नियोजक के विरुद्ध श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी द्वारा सोनो थाने में प्राथमिक की दर्ज कराई गई है।

विभागीय निदेश के आलोक में श्रम अधीक्षक जमुई श्री रतीश कुमार के नेतृत्व में बुधवार को जमुई जिला अंतर्गत गठित धावा दल के सदस्यों श्री राम लगन पासवान श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी जमुई सदर श्री सुधांशु कुमार श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी बरहट श्री विकास कुमार सिंह श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी लक्ष्मीपुर श्री नीरज कुमार श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी सिकंदरा एवं श्री कुणाल कुमार श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी खैरा द्वारा पुलिस बलों के साथ बाल श्रमिकों को विमुक्त कराने हेतु जमुई नगर क्षेत्र एवं सिकंदरा नगर क्षेत्र में छापेमारी अभियान चलाया गया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

शुक्रवार को केकेएम कॉलेज के परिसर श्रम अधिकार दिवस के अवसर पर एक दिवसीय कार्यशाला प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन उप समाहर्ता नागमणि वर्मा ,पुलिस उपाधीक्षक मोहम्मद आफताब अहमद, कॉलेज के प्राचार्य चंद्रमा सिंह, श्रम अधीक्षक रतीश कुमार के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि बाल श्रम सभ्य समाज के लिए एक कलंक है, बाल श्रम विमुक्ति के लिए पुलिस प्रशासन हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है।

हर बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। बाल श्रम इस अधिकार का हनन करता है।” यह एक प्रसिद्ध व्यक्ति मलाला यूसुफजई के विचार है। वाकई में बाल श्रम एक ऐसा अभिशाप है जो बच्चों को न केवल शिक्षा से दूर कर रहा है बल्कि उनका सम्पूर्ण बचपन भी छीन लेता है इतना ही नहीं यह समाज को विनाश के पथ पर आगे बढ़ाता है। बच्चे देश के भविष्य होते हैं लेकिन बाल श्रम जैसी कुरीति से बच्चों का भविष्य ही अँधेरे में जा रहा है। जिस उम्र में बच्चे खेल कूद कर जीवन के हर पहलुओं को समझते है,उस उम्र बच्चे बाल श्रम करने को बेबस है । तो साथियों , आइये मिलकर बाल श्रम के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद करे और न सिर्फ देश से बल्कि सम्पूर्ण विश्व से बाल श्रम की प्रथा को खत्म करने में अपना भागीदारी सुनिचित करें।

सिकन्दरा प्रखंड भूल्लो पंचायत के धनिमातरी गांव में परिवार विकास/चाइल्ड फण्ड इन्टरनेशनल के तत्वावधान में बाल विवाह और बाल मजदूरी रोकथाम एवं उसमें कमी लाने हेतु जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। समन्वयक अभिषेक कुमार ने बताया कि बाल विवाह और बाल मजदूरी बच्चों के लिए अभिशाप है। यह कानूनी अपराध भी है। बच्चों के सुरक्षा हेतु सरकार की ओर से बहुत से कानून बनाए गए हैं।आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। बच्चों के भविष्य को सजाना संवारना माता पिता के अलावे समुदाय के जागरूक लोग एवं शिक्षक की भूमिका अहम है।बाल विवाह से जच्चा-बच्चा दोनों को जान का खतरा बना रहता है। क्योंकि कम उम्र में शरीर पूर्णरूपेण तैयार नहीं रहता है मां बनने के लायक। बाल मजदूरी से भी बच्चों का विकास रुक जाता है ‌।शरीर कमजोर हो जाता है असमय पारिवारिक बोझ लद जाता है। जिसे वह सहन नहीं कर पाता है।बाल विवाह और बाल मजदूरी से बच्चों पर पड़ने वाला प्रभाव की विस्तृत जानकारी के साथ रैली पूरे गांव का भ्रमण कर स्लोगन के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक किया गया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

यूनेस्को की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 1.10 लाख ऐसे स्कूल हैं जो केवल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा देश भर में शिक्षकों के लगभग 11.16 लाख पद खाली हैं और उसमें से भी तक़रीबन 70 फीसदी पद गांव के इलाके के स्कूलों में हैं। है ना मज़ेदार बात। जो गाँव देश की आत्मा है , जिसके लिए सभी सरकारें खूब बड़ी बड़ी बातें बोलती रहती है। कभी किसान को अन्नदाता , भाग्य विधाता, तो कभी भगवान तक बना देती है। उसी किसान के बच्चों के पढ़ने के लिए वो स्कूलों में सही से शिक्षक नहीं दे पाती है। जिन स्कूलों में शिक्षक है वहाँ की शिक्षा की हालत काफी बदहाल है. माध्यमिक से ऊपर के ज्यादातर स्कूलों में संबंधित विषयों के शिक्षक नहीं हैं. नतीजतन भूगोल के शिक्षक को विज्ञान और विज्ञान के शिक्षक को गणित पढ़ाना पड़ता है. ऐसे में इन बच्चों के ज्ञान और भविष्य की कल्पना करना मुश्किल नहीं है. लोग अपनी नौकरी के लिए तो आवाज़ उठा रहे है। लेकिन आप कब अपने बच्चो की शिक्षा के लिए आवाज़ उठाएंगे और अपने जन प्रतिनिधियों से पूछेंगे कि कहाँ है हमारे बच्चो के शिक्षक? खैर, तब तक, आप हमें बताइए कि ------आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ------ क्या आपने क्षेत्र या गाँव के स्कूल में हर विषय के शिक्षक पढ़ाने आते है ? अगर नहीं , तो आप अपने बच्चों की उस विषय की शिक्षा कैसे पूरी करवाते है ? ------साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।

जिला पदाधिकारी जमुई अवनीश कुमार सिंह के निर्देशा के आलोक में श्रम अधीक्षक जमुई पूनम कुमारी के नेतृत्व में बाल श्रम पर अंकुश लगाने को लेकर गुरुवार को पदाधिकारियों की एक धावा दल गठित की गई। धावादल की टीम एवं पुलिस बल के सहयोग से जमुई नगर क्षेत्र से कुल 04 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया जिसमें सुनील बसंत बहार से 01 बाल श्रमिक, बिहारी बाबू होटल से 01 बाल श्रमिक, सुरभि स्वीट से 01 बाल श्रमिक एवं निर्माणाधीन मकान से 01 बाल श्रमिक को विमुक्त कराया गया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उड़ान परियोजना अन्तर्गत सेव द चिल्ड्रेन/यूनिसेफ के तहत इस बैठक का आयोजन हरनौत प्रखंड सभागार में प्रखंड विकास पदाधिकारी उज्जवलकांत की अध्यक्षता में की गई ।बैठक में व्यक्तिगत परिचय के साथ सभी का अभिवादन किया गया। मुख्य रुप से बैठक में प्रखंड स्तरीय बाल संरक्षण समिति गठन के उद्देश्य तथा प्रखंड, पंचायत ,वार्ड स्तरीय संरचना पर विस्तृत चर्चा की गई ।जिसमें समिति के अध्यक्ष प्रमुख ,उपाध्यक्ष, उपप्रमुख ,सचिव सीडीपीओ तथा प्रखंड स्तरीय सभी हितधारक सदस्य होते हैं ।पुनः प्रखंड समन्वयक सुधा कुमारी द्वारा बताया गया कि 18 वर्ष से नीचे उम्र के व्यक्ति को बच्चा कहते हैं।संयुक्त राष्ट्र संघ में बाल अधिकार समझौता विश्व स्तरीय 1989 में हुई थी ,जिसमें 54 बाल अधिकार पारित किए गए थे ।उसमें से मुख्य चार बाल अधिकार जीने का,विकास का, सुरक्षा का एवं सहभागिता का अधिकार पर विस्तार से जानकारी दी।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर। 

जमुई के खैरा प्रखंड अंतर्गत केन्डीह गांव के निजी विवाह भवन में बालश्रम जागरूकता को लेकर एम भी फाउंडेशन द्वारा बालश्रम निषेध दिवस की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम आयोजित किया गया ! जिसमें मुख्य अतिथि के रूप मे भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य विकास प्रसाद सिंह सहित माँगोबन्दर पंचायत के मुखिया रमेश पासवान, समाजसेवी संतोष राणा, माले नेता बाबूसाहब ने दीप प्रज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किया !विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

साथियों, हम कोविड के सबसे विकराल पडाव को पार कर आगे तो बढ रहे हैं पर चुनौतियां हैं कि कम होने का नाम नहीं ले रहीं. खासतौर से मजदूर वर्ग के लिए. मजदूर परिवारों का संघर्ष कोविड काल के दौर में मुश्किल भरा हो गया था और यह दिन पर दिन कठिन ही हो रहा है. इसमें सबसे दुखद तस्वीर जो सामने आई है वो है बाल श्रमिकों की संख्या में इजाफा होना. परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए बहुत बड़ी संख्या में बाल श्रमिक महानगरों का रूख कर रहे हैं. सुनने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें