एड्स इस नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पूरा नाम है 'एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ' यह एक तरह का वायरस है जिसे एचआईवी के नाम से भी जाना जाता है।यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन आज भी लोगों में एड्स को लेकर सतर्कता नहीं है।साथ ही इसे समाज में भेदभाव की भावना से देखा जाता है। एड्स के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। दोस्तों , हम सभी को एड्स को लेकर सतर्क रहना है ,साथ ही लोगों में सर्तकता लाने की भी ज़रुरत है।साथियों, एड्स का उपचार भेदभाव नहीं बल्कि प्यार है। आइये हम सभी मिलकर विश्व एड्स दिवस मनाए और लोगों में एड्स के प्रति अलख जगाए। सतर्क रहें,सुरक्षित रहें
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आज के भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में मानसिक तनाव एक बहुत बड़ा चिंता का विषय बन गया है। मानसिक स्वास्थ्य न सिर्फ हमारे मन को बल्कि भावनाओं, सामाजिक व्यवहारों और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है । यह हमारे सोचने, महसूस करने, और काम करने के तरीके को निर्धारित करता है। बढ़ते मानसिक तनाव को कम करने के उद्देश्य से हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर ध्यान आकर्षित करता है। साथियों, हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। और इस साल यानी 2024 का थीम है "कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का समय आ गया है"। यह थीम व्यवसायों के लिए मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले वातावरण बनाने की आवश्यकता पर जोर देता है। आज के समय में कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य एक चिंता का विषय बन गया है क्योंकि अधिक से अधिक व्यक्ति काम से संबंधित दबावों के कारण तनाव, चिंता और डिप्रेशन का अनुभव करते हैं। इस मुद्दे को संबोधित करने से न केवल कर्मचारियों को लाभ होता है बल्कि संगठनात्मक उत्पादकता और संस्कृति भी बढ़ती है। साथ ही मन में सकारात्मक सोच का संचार होता है।
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
माता-पिता के रूप में जहाँ हम परवरिश की खूबियाँ सीखते हैं, वहीँ इन खूबियों का इस्तेमाल करके हम अपने बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा दे सकते है। आप अपने बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ाने और उन्हें सीखाने के लिए क्या-क्या तरीके अपनाते है? इस बारे में बचपन मनाओ सुन रहे दूसरे साथियों को भी जानकारी दें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं नंबर 3.
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इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...