इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?

इस कार्यक्रम में हम जानेंगे जल संरक्षण और ऊर्जा बचत से जुड़ी सरकारी योजनाओं के बारे में। साथ ही, यह कार्यक्रम बताएगा कि आप इन योजनाओं का लाभ कैसे उठा सकते हैं और अपने गाँव के विकास में कैसे योगदान दे सकते हैं। स्वच्छ पानी और सतत ऊर्जा के महत्व को समझते हुए, हम एक बेहतर कल की ओर कदम बढ़ाएंगे। क्या जल सरंक्षण की योजनाओं के बारे में आपने भी सुना है, क्या आप इन योजनाओं का लाभ आपने भी उठाया है, क्या आपके गाँव में जल सरंक्षण की कोई प्रेरणादायी कहानी है ?

करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं मिल रहा एक बूंद पानी, गांव बझेड़ा महुआ डंडी।। शाहजहांपुर/जलालाबाद मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक योजना जल जीवन मिशन भी शामिल है जिसे मार्च 2024 तक पूर्ण करना है. इसके तहत घर-घर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है । 'जल जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है'. यदि यह कहा जाये तो शायद गलत न होगा. विभागीय अधिकारियों व ठेकेदारों के मिलीभगत से शासन की। इस योजना के तहत गांव गांव में घर घर तक लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. केन्द्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से संचालित हो रहे इस योजना में करोड़ों रुपये पानी के लिए पानी की तरह बहाया जा रहा है. लेकिन ब्लॉक जलालाबाद की ग्राम पंचायत बझेड़ा महुआ डंडी में शासन की जल जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है. हकीकत ठीक विपरीत है आरोप लगाया गया है कि घटिया निर्माण, अधूरा निर्माण और करोड़ों रुपये के ठेकेदारों को भुगतान एक बड़ा खेल जिले में संचालित हो रहा है. शाहजहांपुर जिले में जल जीवन मिशन योजना सिर्फ कागजों में ही सफलता की कहानी गढ़ रहा है. जबकि हकीकत ठीक विपरीत है. जिले के दूरस्थ वनांचल की बात छोड़ दिया जाये तो मुख्यालय शाहजहांपुर से लगे ग्राम पंचायतों में योजना का हाल बेहाल है. एक बूंद नहीं आ रहा है पानी शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगे ग्राम बझेड़ा महुआ डंडी, क्षेत्रों में ही जल जीवन के तहत ठेकेदारों ने पानी पाईप लाईन का विस्तार कर स्टाम्प पोस्ट घर के बाहर जगह जगह लगा दिया. लेकिन पानी एक बूंद नहीं आ रहा है. ऐसे जल जीवन मिशन योजना का क्या मतलब जिसका लाभ नहीं मिल रहा. यह तो बात एक दो पंचायतों की है. आधे अधूरे ही कार्य कराये गये है जानकारी के अनुसार जिले के शाहजहांपुर के गांव बझेड़ा महुआ डंडी, पल्हरई , अफतियापुर , ढाका उजेरा , भटा देवर, तहसील क्षेत्रों का हाल एक जैसा है. इन क्षेत्रों में करोड़ों रुपये खर्च कर दिये गये. इसके बावजूद भी लोगों को पेयजल नहीं मिल पा रहा है और मार्च 2024 में योजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. ऐसे में महज लगभग दिन शेष है और कार्य अधूरा. जिले के कई पंचायतों में तो आधे अधूरे ही कार्य कराये गये है. दो साल बाद भी नहीं मिले पानी जल जीवन मिशन से घर-घर पानी उपलब्ध कराने के लिए नल कनेक्शन के लिए पाइप और चबूतरे का काम तो कर दिया गया है लेकिन सप्लाई लाइन नहीं बिछाई गई. निर्माण के दो साल बाद भी पानी नहीं मिलने से गांव के ग्रामीण परेशान है. पेयजल व निस्तार के लिए ग्रामीण पुराने स्रोतों पर ही निर्भर हैं ग्रामीणों का कहना है कि अधूरे पड़े काम को लेकर विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. नल पोस्ट में बांध रहे बैल बकरी जल जीवन मिशन के तहत पेयजल भले ही लोगों के घर तक नहीं पहुंच रही है लेकिन इसके लिए प्रत्येक परिवार के घर के सामने नल के पोस्ट स्थापित कर दिये है. जिसमें पानी नहीं पहुंचने के कारण कई ग्रामीण परिवार स्थापित नल पोस्ट पर बैल, बकरी बांधने में उपयोग कर रहे है. कई स्थानों पर लगाये गये नल पोस्ट क्षतिग्रस्त भी हो गये है. अधूरे कार्य के बीच ठेकेदार ने निकाली राशि जल जीवन मिशन का कार्य कई पंचायतों में आधा अधूरा पड़ा हुआ है इसके बावजूद अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार द्वारा राशि निकाले जाने की खबर है. जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बझेड़ा महुआ डंडी में टंकी निर्माण हो रहा है वह राजेश कुमार के मकान के पीछे बंजर भूमि पर टंकी का निर्माण कार्य किया जा रहा है। पंचायत क्षेत्र के सभी वाडारें में हर ग्रामीण के घरों व सड़क किनारे पानी सप्लाई के लिए स्टाम्प पोस्ट लगाया गया है, लेकिन पानी सप्लाई के लिए गांव में पाइप लाइन का विस्तार नहीं किया गया है. कही टंकी निर्माण पूरा नहीं हुआ है तो कही पाइप लाइन विस्तार नहीं हुआ है यानी काम अधुरा पड़ा हुआ है. जिसके चलते लोगों को इस योजना के तहत पेयजल नहीं मिल पा रहा है.

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से जुड़ी श्रोताओं के विचार

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से जुड़ी जानकारी

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे सरकारी बीमा योजना से जुड़ी जानकारी

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे और जानेंगे स्वास्थ्य बीमा के बारे में

किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें

नासिक में रहने वाली मयूरी धूमल, जो पानी, स्वच्छता और जेंडर के विषय पर काम करती हैं, कहती हैं कि नासिक के त्र्यंबकेश्वर और इगतपुरी तालुका में स्थिति सबसे खराब है। इन गांवों की महिलाओं को पानी के लिए हर साल औसतन 1800 किमी पैदल चला पड़ता है, जबकि हर साल औसतन 22 टन वज़न बोझ अपने सिर पर ढोती हैं। और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के नारे से रंगी हुई लॉरी, टेम्पो या ऑटो रिक्शा आज एक आम दृश्य है. पर नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च द्वारा 2020 में 14 राज्यों में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि योजना ने अपने लक्ष्यों की "प्रभावी और समय पर" निगरानी नहीं की। साल 2017 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हरियाणा में "धन के हेराफेरी" के भी प्रमाण प्रस्तुत किए। अपनी रिपोर्ट में कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ स्लोगन छपे लैपटॉप बैग और मग खरीदे गए, जिसका प्रावधान ही नहीं था। साल 2016 की एक और रिपोर्ट में पाया गया कि केंद्रीय बजट रिलीज़ में देरी और पंजाब में धन का उपयोग, राज्य में योजना के संभावित प्रभावी कार्यान्वयन से समझौता है।