नए नए आजाद हुए देश के प्रधानमंत्री नेहरू एक बार दिल्ली की सड़कों पर थे और जनता का हाल जान रहे थे, इसी बीच एक महिला ने आकर उनकी कॉलर पकड़ कर पूछा कि आजादी के बाद तुमको तो प्रधानमंत्री की कुर्सी मिल गई, जनता को क्या मिला, पहले की ही तरह भूखी और नंगी है। इस पर नेहरु ने जवाब दिया कि अम्मा आप देश के प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़ पा रही हैं यह क्या है? नेहरू के इस किस्से को किस रूप में देखना है यह आप पर निर्भर करता है, बस सवाल इतना है कि क्या आज हम ऐसा सोच भी सकते हैं?
करोड़ों खर्च के बाद भी नहीं मिल रहा एक बूंद पानी, गांव बझेड़ा महुआ डंडी।। शाहजहांपुर/जलालाबाद मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक योजना जल जीवन मिशन भी शामिल है जिसे मार्च 2024 तक पूर्ण करना है. इसके तहत घर-घर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है । 'जल जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है'. यदि यह कहा जाये तो शायद गलत न होगा. विभागीय अधिकारियों व ठेकेदारों के मिलीभगत से शासन की। इस योजना के तहत गांव गांव में घर घर तक लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. केन्द्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से संचालित हो रहे इस योजना में करोड़ों रुपये पानी के लिए पानी की तरह बहाया जा रहा है. लेकिन ब्लॉक जलालाबाद की ग्राम पंचायत बझेड़ा महुआ डंडी में शासन की जल जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है. हकीकत ठीक विपरीत है आरोप लगाया गया है कि घटिया निर्माण, अधूरा निर्माण और करोड़ों रुपये के ठेकेदारों को भुगतान एक बड़ा खेल जिले में संचालित हो रहा है. शाहजहांपुर जिले में जल जीवन मिशन योजना सिर्फ कागजों में ही सफलता की कहानी गढ़ रहा है. जबकि हकीकत ठीक विपरीत है. जिले के दूरस्थ वनांचल की बात छोड़ दिया जाये तो मुख्यालय शाहजहांपुर से लगे ग्राम पंचायतों में योजना का हाल बेहाल है. एक बूंद नहीं आ रहा है पानी शाहजहांपुर जिला मुख्यालय से लगे ग्राम बझेड़ा महुआ डंडी, क्षेत्रों में ही जल जीवन के तहत ठेकेदारों ने पानी पाईप लाईन का विस्तार कर स्टाम्प पोस्ट घर के बाहर जगह जगह लगा दिया. लेकिन पानी एक बूंद नहीं आ रहा है. ऐसे जल जीवन मिशन योजना का क्या मतलब जिसका लाभ नहीं मिल रहा. यह तो बात एक दो पंचायतों की है. आधे अधूरे ही कार्य कराये गये है जानकारी के अनुसार जिले के शाहजहांपुर के गांव बझेड़ा महुआ डंडी, पल्हरई , अफतियापुर , ढाका उजेरा , भटा देवर, तहसील क्षेत्रों का हाल एक जैसा है. इन क्षेत्रों में करोड़ों रुपये खर्च कर दिये गये. इसके बावजूद भी लोगों को पेयजल नहीं मिल पा रहा है और मार्च 2024 में योजना को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. ऐसे में महज लगभग दिन शेष है और कार्य अधूरा. जिले के कई पंचायतों में तो आधे अधूरे ही कार्य कराये गये है. दो साल बाद भी नहीं मिले पानी जल जीवन मिशन से घर-घर पानी उपलब्ध कराने के लिए नल कनेक्शन के लिए पाइप और चबूतरे का काम तो कर दिया गया है लेकिन सप्लाई लाइन नहीं बिछाई गई. निर्माण के दो साल बाद भी पानी नहीं मिलने से गांव के ग्रामीण परेशान है. पेयजल व निस्तार के लिए ग्रामीण पुराने स्रोतों पर ही निर्भर हैं ग्रामीणों का कहना है कि अधूरे पड़े काम को लेकर विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं. नल पोस्ट में बांध रहे बैल बकरी जल जीवन मिशन के तहत पेयजल भले ही लोगों के घर तक नहीं पहुंच रही है लेकिन इसके लिए प्रत्येक परिवार के घर के सामने नल के पोस्ट स्थापित कर दिये है. जिसमें पानी नहीं पहुंचने के कारण कई ग्रामीण परिवार स्थापित नल पोस्ट पर बैल, बकरी बांधने में उपयोग कर रहे है. कई स्थानों पर लगाये गये नल पोस्ट क्षतिग्रस्त भी हो गये है. अधूरे कार्य के बीच ठेकेदार ने निकाली राशि जल जीवन मिशन का कार्य कई पंचायतों में आधा अधूरा पड़ा हुआ है इसके बावजूद अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदार द्वारा राशि निकाले जाने की खबर है. जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत बझेड़ा महुआ डंडी में टंकी निर्माण हो रहा है वह राजेश कुमार के मकान के पीछे बंजर भूमि पर टंकी का निर्माण कार्य किया जा रहा है। पंचायत क्षेत्र के सभी वाडारें में हर ग्रामीण के घरों व सड़क किनारे पानी सप्लाई के लिए स्टाम्प पोस्ट लगाया गया है, लेकिन पानी सप्लाई के लिए गांव में पाइप लाइन का विस्तार नहीं किया गया है. कही टंकी निर्माण पूरा नहीं हुआ है तो कही पाइप लाइन विस्तार नहीं हुआ है यानी काम अधुरा पड़ा हुआ है. जिसके चलते लोगों को इस योजना के तहत पेयजल नहीं मिल पा रहा है.
कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?
Transcript Unavailable.
कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।
मेरा नाम ठाकुर ओमदिर सिंह राठौर है । मैं रानीसाना का प्रदेश उपाध्यक्ष हूँ । तिलहर में एक समुदाय है । जब सड़क राजंदपुर से तिलहर तक जाती है , तो उस पर लगातार तूफान आते हैं जिससे आने - जाने वाले लोगों को बहुत परेशानी होती है । लेकिन अतिक्रमण के कारण वहां बड़ी मात्रा में छेद होने से लोगों को बाहर निकलने में काफी परेशानी होती है , जो भी वाहन जाए , उन्हें बहुत परेशानी होती है ।
मेरा नाम भिपाल सिंह है , मेरे गाँव में एक नहर है , नहर में एक पुल है,वहाँ कोई पुल नहीं है जिसकारण आना - जाना मुश्किल है ।
Transcript Unavailable.
शाहजहांपुर ,मैं रामचंद सिंह मोवालवानी से बात कर रहा हूं । ई - गवर्नेंस का सबसे अच्छा उदाहरण कलान तहसील क्षेत्र के एक बीटा जंगल से कंचरपुर तक जाने वाली लगभग डेढ़ किलोमीटर की सड़क है । यह सड़क अभी तक पक्की नहीं हुई है । बेथा जंगल के निवासी राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता इटाई के प्राचार्य विष्णु दत्त द्विवेदी ने इस सड़क को पक्का करने के लिए सीधे मुख्यमंत्री से संपर्क किया । मुख्यमंत्री ने स्वयं सड़क को मंजूरी दी और अब इस सड़क का निर्माण शुरू हो गया है । लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है । कंचरप गाँव के दक्षिण में गंगा नदी है और उत्तर में कोई सड़क नहीं है । दस - बीस साल पहले एक कच्ची सड़क बनाई गई थी , जो बारिश में बाहर जाने लायक भी नहीं है । इसे ध्यान में रखते हुए विष्णु दत्त द्विवेदी ने सबसे पहले कहा , जन - प्रतिनिधियों ने इस सड़क के निर्माण के लिए चक्कर लगाए , लेकिन वहां से कोई सफलता नहीं मिली ।
शाहजहांपुर ,मैं रामचंद्र सिंह हूँ , मोबाइल वार्ड से बोल रहा हूँ । कच्चा सड़क ने ग्रामीणों की आवाजाही में आठ किलोमीटर की वृद्धि की है । कलाम टिहरी क्षेत्र के खजुरी गणेशपुर गांव की सड़क ग्रामीणों के लिए समस्या बन गई है । डेढ़ किलोमीटर की इस कच्ची सड़क के कारण बारिश होने पर ग्रामीणों को आठ किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है । ग्रामीणों ने कई बार प्रशासनिक प्रकोष्ठ लेकर जन - प्रतिनिधियों से शिकायत की , लेकिन किसी ने भी ग्रामीणों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया । खजुरी ग्राम पंचायत से गणेशपुर के रास्ते में कलाम के विकास के दावे खोखले साबित हो रहे हैं । मीटर वाली सड़क कच्ची है , लोग हमेशा की तरह गाँव जाने के लिए आवागमन करते हैं , लेकिन एक पाइप पुलिया के कारण ग्रामीणों की डेढ़ किलोमीटर की दूरी 8 किलोमीटर में बदल जाती है । ग्रामीणों के अलावा छात्रों को 8 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है ।