हमारे शास्त्रों ने मांसाहार और शाकाहार पर बहुत सटीक बातें कही हैं। उन्होंने कहा है कि फल और सब्जियाँ रंगदार और खुशबूदार होती हैं,वो आपको मोहक लगती हैं जबकि मांस देखने में भद्दा और बदबूदार होता है। किसी फल के बगीचे में चले जायें तो मन खिल जाता है। एक दो फल तोड़कर खाने का मन करता है,वहीं किसी कत्लगाह में चले जाएँ तो अच्छा खासा स्वस्थ मन भी खराब हो जाए। फल या सब्ज़ी तोड़ने या काटने पर आपको कोई ग्लानि नहीं होती,उनकी पीड़ा,उनका रोना और चीखना आपको सुनाई या दिखाई नहीं देता वहीं किसी पशु की हत्या करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। इसलिए देखा जाए तो प्रकृति ने आपकी इंद्रियों को ऐसा बनाया है कि जिव्हा के अलावा बाकी सभी इन्द्रियाँ मांसाहार के ख़िलाफ़ हैं। इससे आपको समझना चाहिए कि प्रकृति आपको क्या इशारा कर रही है। इस इशारे को समझकर ही अपना भोजन चुनें। मैं शुद्ध शाकाहारी हूं और आप,...? खैर,....चुनाव आपका है।