कभी त्योहारों का मतलब ही थी खुशियां, जो अब कहीं खो सी गई हैं। खोये हुए इन खुशियों में, हम सब के पास ऐसी यादें हैं, जो किसी खास मौके से जुड़ी होंगी और उसके याद आने पर हम मुस्करा देते हैं। तो आइये चौड़ी करते हैं अपनी मुस्कराहट को अपने किस्सों में किसी और को शामिल करके. बांटिए अपनी उस मीठी सी प्यारी सी याद को मोबाइल वाणी के दोस्तों के साथ और दीजिये मौका किसी और को मुस्कराने का सिर्फ अपने फोन पे तीन नंबर का बटन दबाकर। तो देर किस बात की दोस्तों !! आप भी सुनाइए अपना किस्सा आप के अपने कार्यक्रम "त्योहार जो याद रह गए " में !
हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए...
सरकारी संस्था आईसीएमआर के डाटाबेस में सेंध लगाकर चुराया गया 81 करोड़ लोगों का डाटा इंटरनेट पर बिक्री के लिए उपलब्ध है। लीक हुए डाटा में लोगों के आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी, पासपोर्ट, नाम, फ़ोन नंबर, पते सहित तमाम निजी जानकारियां शामिल हैं। यह सभी जानकारी इंटरनेट पर महज कुछ लाख रुपये में ऑनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध है। इसे डाटा लीक के इतिहास का सबसे बड़ा डाटा लीक कहा जा रहा है, जिससे भारत की करीब 60 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा सरसों की खेती के बारे में जानकारी दे रहे है । सरसों की खेती कब और कैसे करे सहित अन्य जानकारियों के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...
साथियों, आये दिन हमें ऐसे खबरे सुनने को और देखने को मिलती कि फंलाने जगह सरकारी स्कुल की छत गिर गई या स्कुल की दिवार ढह गई। यहाँ तक कि आजकल स्कुल के क्षेत्र में लोग पशु भी बाँधने लगते है, अभी ऐसी ही खबर दैनिक भास्कर के रांची सस्करण में छपी। रांची के हरमू इलाके में जहाँ कुछ लोग वर्षो सेअपने दुधारू पशु को स्कुल से सटे दीवाल में बाँध रहे है और प्रशासन इस पर मौन है। ये हाल झारखण्ड की राजधानी रांची के एक सरकारी स्कुल का है , बाकि गाँव का हाल तो छोड़ ही दीजिये। क्या आपको पता है कि शिक्षा के अधिकार के नियम के तहत स्कुल में पीने का साफ़ पानी और शौचालय की बुनियादी सुविधा के अनिवार्य रूप से मुहैया करवाने की बात कही गयी है। और ये बेसिक सी चीज़े उपलब्ध करवाना सभी सरकारों का काम है। लेकिन जब 25 से 35 % स्कूलों का हाल ये हो तब किसे दोषी माना जाए ? सरकार को नेताओ को या खुद को कि हम नहीं पूछते??? बाक़ि हाल आप जान ही रहे है। तब तक, आप हमें बताइए कि ******आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में शौचालय और पानी की व्यवस्था कैसी है ? ****** वहां के स्कुल कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ****** साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।
‘नागरिकों को राजनीतिक दलों के चंदे का स्रोत जानने का अधिकार नहीं है’ सरकार की तरफ से पेश हुए उसके वकील यानी सॉलीसिटर जनरल आर. रमन्नी ने यह बात सुप्रीम कोर्ट में कही है’। सवाल उठता है कि जब सबकुछ ठीक है तो फिर चंदे से जुड़ी जानकारी जनता से साझा करने में दिकक्त क्या है? राजनीतिक शुचिता और भ्रष्टाचार पर वार करने वाले राजनीतिक दल की सरकार अगर कहे कि वह जनता को नहीं बता सकती की उसकी पार्टी को चंदा देने वाले लोग कौन हैं, तो फिर इसको क्या समझा जाए।
Transcript Unavailable.
सुनिए हंसी-मज़ाक में डूबे हंसगुल्ले और रिकॉर्ड कीजिए अपने चुटकुले, मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर। जल्द आ रहा है प्रोग्राम, हंसगुल्ले। इसमें आपको नए-नए जोक्स अनोखे अंदाज़ में सुनने को मिलेंगे।
भारतीय पुलिस व्यवस्था अंग्रेजों की देन है लेकिन उसके बाद बनी व्यवस्था और संस्थाएं, यहां की जरूरत के हिसाब से बनाई गईं। इन सभी का काम था कि अपराधों को रोकना और अपराधियों को पकड़ कानून के समक्ष पेश करना। इनको बनाने के पीछे के उद्देश्य अच्छा था, लेकिन हर बीतते दिन के साथ उजागर होते इनके कारनामे, अफसोस करने पर मजबूर करते हैं कि इनको बनाया ही क्यों गया, टेक्स देने वालों के पैसे की इस तरह बर्बादी क्यों? इन्हें काम अपने तो मालिकों के इशारे पर करना है, बजाए इसके जिसके लिए उन्हें बनाया गया है।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री जीवदास साहू मटर की खेती के बारे में जानकारी दे रहे है । मटर की खेती के लिए अच्छे बीज,खाद सहित अन्य जानकारियों के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...