मोबाइल वाणी और माय कहानी का एक ख़ास पेशकस आपके लिए कार्यक्रम भावनाओं का भवर जहाँ हम सुनेंगे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने से जुड़ी कुछ जानकारियां. तो चलिए आज की कड़ी में जानते हैं कि अगर कभी मन में बहुत बुरे ख्याल आये तो उस से उभरने के लिए क्या किया जा सकता हैं. साथियों कई बार हमारे जीवन में ऐसे मोड़ आ जाते है जहाँ हम खुद को बहुत परेशान और अकेला महसूस करते हैं और मन में बहुत बुरे-बुरे ख्याल आते हैं. कई बार सारी उम्मीदें ख़तम होने लगती है। ऐसे में किसी को सहारा देने के लिए आप के अनुसार हमें क्या करना चाहिए ? क्या आपने कभी किसी ऐसे स्थिति का सामना किया है ? अगर हाँ तो कैसे उभरे उस स्थिति से ? साथ ही इसी तरह की और भी जानकारी सुनने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें। https://www.youtube.com/@mykahaani
उत्तप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही की हैं हर दिन मनुष्यों के लिए अशांति का कारण है । यह पत्नी और बेटी की इच्छा है कि एक अच्छा परिवार हो जो उसकी हर जरूरत को पूरा कर सके और उसे अपने ससुराल वालों से उतना ही प्यार और सम्मान मिलना चाहिए लेकिन ज्यादातर घरों में ऐसा नहीं है । शादी की भारी मांग से ससुराल के साथ - साथ लड़की के घर में भी अशांति और चिंता का माहौल पैदा हो जाता है , जिससे कई लोग आत्महत्या कर लेते हैं ।
उत्तप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं की आत्महत्या हमारे समाज में एक आम समस्या है । ऐसा लगता है कि जीवन में भी खुशी खत्म हो गई है , प्यार के लिए प्यार खत्म हो गया है और मन पूरी तरह से खत्म हो गया है ।भावना की प्रकृति यह है कि सरकार को आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोकने के लिए कोर को जिम्मेदारी देनी चाहिए , पूरी जिम्मेदारी होनी चाहिए क्योंकि भारत में भी आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं लेकिन हम इस पर बाकी दुनिया से कुछ नहीं सीख रहे हैं ।
उत्तप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से गौस मोहम्मद मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जिस तरह से आज हमारे समाज में एक परंपरा चल रही है , उसके संदर्भ में मैं आपसे चर्चा करना चाहूंगा । हर दिन कोई बेटी या बहू आत्महत्या कर रही है , यह एक सामाजिक स्थिति है , तो इन सबके लिए कौन जिम्मेदार है , कहीं न कहीं हम इसके लिए जिम्मेदार हैं। प्रताड़ित होने के बावजूद भी बेटियां ये सब बात अपने माता पिता से नहीं कहती
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानि की NCRB के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में 23,178 गृहिणियों ने आत्महत्या की थी। यानी देशभर में हर दिन 63 और लगभग हर 22 से 25 मिनट में एक आत्महत्या हुई है। जबकि साल 2020 में ये आंकड़ा 22,372 था। जितनी तेज़ी से संसद का निर्माण करवाया, सांसद और विधायक अपनी पेंशन बढ़ा लेते है , क्यों नहीं उतनी ही तेज़ी से घरेलु हिंसा के खिलाफ सरकार कानून बना पाती है। खैर, हालत हमें ही बदलना होगा और हमें ही इसके लिए आवाज़ उठानी ही होगी तो आप हमें बताइए कि *---- आख़िर क्या वजहें हैं जिनके कारण हज़ारों गृहणियां हर साल अपनी जान ले लेती हैं? *---- घरेलू हिंसा को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए ? *---- और क्या आपने अपने आसपास घरेलू हिंसा को होते हुए देखा है ?