नए नए आजाद हुए देश के प्रधानमंत्री नेहरू एक बार दिल्ली की सड़कों पर थे और जनता का हाल जान रहे थे, इसी बीच एक महिला ने आकर उनकी कॉलर पकड़ कर पूछा कि आजादी के बाद तुमको तो प्रधानमंत्री की कुर्सी मिल गई, जनता को क्या मिला, पहले की ही तरह भूखी और नंगी है। इस पर नेहरु ने जवाब दिया कि अम्मा आप देश के प्रधानमंत्री की कॉलर पकड़ पा रही हैं यह क्या है? नेहरू के इस किस्से को किस रूप में देखना है यह आप पर निर्भर करता है, बस सवाल इतना है कि क्या आज हम ऐसा सोच भी सकते हैं?

समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?

भारतीय संविधान किसी के आर्टिकल 14 से लेकर आर्टिकल 21 तक समानता की बात कही है, इस समानता धार्मिक आर्थिक राजनीतिक और अवसर की समानता का जिक्र किया गया है। इस समानता किसी प्रकार की जगह नहीं है और किसी को भी धर्म, जाति और समंप्रदाय के आधार पर कोई भेद नहीं किये जाने का भी वादा किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया फैसले में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वह धर्म की पहचान के आधार भेदभाव पैदा करने की कोशिश है।दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? क्या आप सरकार के फैसले के साथ हैं या फिर इसके खिलाफ, जो भी हो इस मसले पर आपकी क्या राय है? आप इस मसले पर जो भी सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें

मोटाभाई ने महज एक शादी में जितना खर्च किया है, वह उनकी दौलत 118 बिलियन डॉलर का 0.27 है। जबकि उनकी दौलत कृषि संकट से जूझ रहे देश का केंद्रीय बजट का 7.5 प्रतिशत से भी कम है। जिस मीडिया की जिम्मेदारी थी कि वह लोगों को सच बताएगा बिना किसी का पक्ष लिए, क्या यह वही सच है? अगर हां तो फिर इसके आगे कोई सवाल ही नहीं बनता और अगर यह सच नहीं तो फिर मीडिया द्वारा महज एक शादी को देश का अचीवमेंट बताना शुद्ध रूप से मुनाफे से जुड़ा मसला है जो विज्ञापन के रुप में आम लोगों के सामने आता है। क्योंकि मीडिया का लगभग पचास प्रतिशत हिस्सा तो मोटाभाई का खुद का है और जो नहीं है वह विज्ञापन के लिए हो जाता है "कर लो दुनिया मुट्ठी में” की तर्ज पर। दोस्तों, इस मुद्दे पर आप क्या सोचते है ?अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर, अपने फोन से तीन नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाईल का एप डाउनलोड करके।

दोस्तों इस तरह के बाबाओं द्वारा चलाई जा रही धर्म की दुकानों पर आपका क्या मानना है, क्या आपको भी लगता है कि इन पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर इनको ऐसे ही चलते ही रहने देना चाहिए? या फिर हर धर्म और संप्रदाय के प्रमुखों द्वारा धर्म के वास्तविक उद्देश्यों का प्रचार प्रसार कर अंधविश्वास में पड़े लोगों को धर्म का वास्तविक मर्म समझाना चाहिए। जो भी आप इस मसले पर क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पक्ष विपक्ष यह एक ऐसी श्रृंखला है जिसमें सभी लोगों को दोनों पक्षों को रखने का समान अवसर मिलता है। इसका अपना एक घोषणापत्र जारी किया गया था जिसे राजनीतिक दलों को प्रस्तुत किया गया था कि अगर आप हमसे वोट लेना चाहते हैं तो आपको हमारी इन मांगों को पूरा करना होगा। यह एक देश में एक नई क्रांति है। एक नई सोच की शुरुआत हुई है। जिससे की हम नागरिक भी अपने अधिकारों, अपनी जरूरतों को नेताओं के सामने, दलों के सामने रखेंगे, जो भी पक्ष हमारी मांगों को पूरा करने में अधिक सक्षम हो या हमारी मांगों को पूरा करने के लिए सहमत हो। हम इसके लिए मतदान करेंगे, यह एक बहुत अच्छी पहल है जो पूरे देश में क्रांति ला सकती है, इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लोग अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होंगे, लोग अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होंगे, लोग सोचेंगे कि हम देश में क्रांति ला सकते हैं। हमारे इस क्षेत्र का विकास इसलिए किया जा सकता है क्योंकि हर जगह होने वाली समस्याएं अलग-अलग हो सकती हैं। कहीं सड़कों का निर्माण बहुत महत्वपूर्ण है, कहीं पानी है, कहीं बिजली है, इसलिए हर जगह की जरूरतें अलग-अलग हैं, इसलिए हर जगह की जरूरतें भी अलग-अलग हैं। अगर लोगों को छोटे समूहों में बांटा जाए, तो वे अपनी मांगें मांगेंगे और लोगों के नेताओं को अपनी मांगें सौंपेंगे, फिर छोटी-छोटी मांगें पूरी होने पर उन्हें इस तरह से छोटे-छोटे लिंक मिलेंगे।

उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सेहनाज़ मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की लोकतांत्रिक प्रतिक्रियाओं और पूरे देश के लिए सत्ता को हटाने का विरोध किया। केंद्र सरकार या केंद्र सरकार नामक एक सरकार है, जो क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकारें बनाती है जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। भारत में, केंद्र और राज्य स्तरों पर स्थानीय सरकारें भी उनके बीच सत्ता के बंटवारे के संबंध में संविधान के रूप में कार्य करती हैं। यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि विभिन्न सरकारों के बीच शक्तियों का तनाव नहीं होना चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरुद्दीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि यदि सत्ता पक्ष एक तरफा फैसला ले या सत्ता पक्ष ये चाहे की उसकी मर्जी को को बंद करे यह लोकतंत्र पर बहुत बड़ा आधार है ,लोकतंत्र की श्रुति ही इसमें निहित है सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों मिलकर सरकार चलाये। दोनों से ही सरकार चलती है। सत्ता पक्ष होना चाहिए वह अपने लोगों को बैठाने के बजाय यह कोशिस करे हम लोकतंत्र जनता के लिए कुछ ऐसे कार्य करें

दोस्तों नई सरकार का गठन हो गया है। ऐसे में सरकार से आपकी क्या अपेक्षाए हैं, क्या आपको भी लगता है कि लोकतंत्र के संस्थानों के उनके नियमों के अनुसार ही काम करना चाहिए या सरकार का रुख ठीक है कि वह चुनकर सत्ता में आए हैं, तो अब उनकी मर्जी है कि वे कैसे चलाते हैं। इस मसले पर अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर

उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूदीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जब चुनाव आते हैं तो राजनेताओं की हकीकत सामने आ जाती है। हम एक समूह बनाये और अपनी समस्याओं को नेताओं के सामने रखें और उनसे मांग करें