ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है जिसके कारण पृथ्वी का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। इस बढ़ते तापमान के कारण पृथ्वी पर कई चीजें बदल रही हैं। गर्मियों में लोगों के लिए बाहर जाना बहुत मुश्किल हो गया है। इस ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमारे पर्यावरण की पूरी तरह से रक्षा करनी होगी। अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे, अधिक से अधिक पीने योग्य पानी बचाना होगा, चाहे जो भी प्रदूषण हो, चाहे वह जल प्रदूषण हो, वायु प्रदूषण हो, मृदा प्रदूषण हो, ध्वनि प्रदूषण हो। इन सभी को पूरी तरह से नियंत्रित करना होगा तभी इस ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सकता है और मानव निर्मित चीजें जो हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा रही हैं, उन्हें रोका जा सकता है। इन्हें कम करने के लिए हमें पर्यावरण-मित्रता के अनुसार काम करना होगा, यानी हमें ऐसे काम करने होंगे ताकि हमारे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो और देश का विकास हो सके। तभी इस ग्लोबल वार्मिंग को पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकेगा और हमारे भावी बच्चों का भविष्य सुरक्षित किया जा सकेगा अन्यथा हमारे बच्चों का भविष्य बहुत ही धूमिल होगा क्योंकि भविष्य धूमिल होगा। पानी धीरे-धीरे इतनी तेजी से कम हो रहा है कि हमारे बच्चों को पीने योग्य पानी नहीं मिलेगा, उन्हें साफ हवा नहीं मिलेगी, उन्हें पता नहीं चलेगा कि पेड़ क्या हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूद्दीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए भी, अगर हम अपने आस-पास की हवा को शुद्ध करना चाहते हैं, अगर हमें अधिक ऑक्सीजन चाहिए, तो हमें ऐसे पेड़ों का उपयोग करना चाहिए या अपने घरों में ऐसे पेड़ लगाने चाहिए जो चौबीस घंटे का ऑक्सीजन दें ताकि हमारे घर के आस पास वायु साफ रहें। कई पेड़ हैं जो चौबीसों घंटे ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जिनमें तुलसी भी शामिल है, जिसकी पूजा हिंदू मान्यताओं के अनुसार की जाती है। अगर तुलसी का पौधा लगाते हैं, तो तुलसी का पौधा एक ऐसा पौधा है जो चौबीस घंटे तक ऑक्सीजन देता है, उसी तरह पीपल के पीपल की भी पूजा की जाती है या पहले पीपल बड़ी मात्रा में लगाया जाता था , लेकिन अब यह धीरे-धीरे कम हो रहा है, जबकि पीपल भी एक ऐसा पेड़ है जो 24 घंटे ऑक्सीजन देता है। इसी तरह, इसमें नीम का पेड़ भी शामिल है, क्योंकि नीम के पेड़ से सब कुछ फायदेमंद होता है इससे कई दवाओं की व्यवस्था भी की जाती है। नीम भी हमारे लिए दिन में 24 घंटे ऑक्सीजन उपलब्ध कराता है, इसलिए अगर घर के आसपास नीम का पौधा लगाया जाए तो नीम के और भी कई फायदे हैं।

पृथ्वी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि बर्फ वाले बड़े ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और यह ग्लेशियर हमारी पृथ्वी पर पानी का सबसे बड़ा स्रोत है। और ये ग्लेशियर इतनी तेजी से पिघल रहे हैं कि वे बहुत कम समय में पूरी तरह से पिघल जाएंगे। इसका मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग यानी पृथ्वी के तापमान में वृद्धि है। यह ग्लोबल वार्मिंग अगर इसे रोकने के लिए कुछ उपाय नहीं किए जाते हैं। तो ये ग्लेशियर पिघल जाएँगे और ये पृथ्वी धीरे-धीरे खत्म होने लगेगी, इस पर रहना बहुत मुश्किल होगा, ग्लोबल वार्मिंग इसे रोकने के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है।

उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूद्दीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पर्यावरण के अंतर्गत जल बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जल के बिना जीवन असम्भव है लेकिन मानव द्वारा जल पूरी तरह से दूषित किया जाता है जिससे आज ऐसी स्थिति बनी हुई है कि बहुत ही कम मात्रा में पीने योग्य जल बचा हुआ है।जल प्रदूषण होता जा रहा है अगर जल प्रदूषित हो जाती है तो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। इससे मनुष्य जानवर ,पेड़ पौधे सभी के लिए नुकसान देह है। हमारे पृथ्वी पर केवल एक प्रतिशत पीने के जल का स्रोत है जो कि आने वाले समय में कम होता जाएगा हमारी आने वाली पीढ़ियां हैं उनके लिए क्या पीने लायक पानी मिल पाएगा जिससे की वह अपने जीवन को पुर्ण रूप से जी सके।हमे जल को संचित कर जल को बचाना होगा ,जल को दूषित होने से बचाना होगा जिससे की मानव जीवन ,जानवरों सभी को शुद्ध जल मिल पाए।

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आधुनिक समय में पृथ्वी पर पर्यावरण का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। यह नुकसान सीधे मनुष्यों द्वारा किया जाएगा। समय के साथ वाहनों की संख्या बढ़ने से पर्यावरण पूरी तरह से मनुष्यों द्वारा प्रदूषित हो जाएगा। एक व्यक्ति के पास ये तीन चौंसठ पचास-पाँच गाड़ियाँ हैं, भले ही उसे केवल एक की आवश्यकता हो, लेकिन वह इसमें कई गाड़ियाँ रखता है। पर्यावरण को इस तरह से विकसित करना होगा कि आधुनिक युग में जो खेती हो रही है, मिट्टी की खेती करते समय आधुनिक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है। अधिकांश किसानों ने रसायनों का उपयोग करना शुरू कर दिया है। मिट्टी भी दूषित हो रही है जिससे इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ रही है और इसलिए इससे जो कुछ भी उत्पन्न हो रहा है वह भी पूरी तरह से दूषित हो रहा है जो मानव स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह से हानिकारक है। इस तरह पृथ्वी पर कारखाने लगाए जा रहे हैं, जिससे लोग कई रसायनों का उपयोग करते हैं, कई रसायन भी निकलते हैं, जो पर्यावरण को पूरी तरह से प्रदूषित कर रहे हैं। इस तरह, जब कारखानों से गंदा पानी निकलता है, तो उसे समुद्र या नदियों में छोड़ दिया जाता है, जिससे पानी भी दूषित हो रहा है। यह योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए, यह पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जाना चाहिए, यानी जो भी काम किया जाए, वह पूरी तरह से यह समझकर किया जाना चाहिए कि पर्यावरण पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, अगर पर्यावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।

अपनी इच्छानुसार पेड़ लगाने से हमें कई लाभ होते हैं। ऑक्सीजन पेड़ों द्वारा प्रदान की जाती है क्योंकि हर कोई जानता है कि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ऑक्सीजन मनुष्यों के लिए आवश्यक है। प्राणियों के लिए ऑक्सीजन आवश्यक है। इस तरह हमें पेड़-पौधों से फल, रक्त वाहिकाएं और लकड़ी भी मिलती है। यह वनों की कटाई को रोककर पर्यावरण को साफ करने के लिए पक्षियों और जानवरों के लिए एक आश्रय भी बन जाता है। इस तरह, एक पेड़ लगाने से बहुत लाभ होता है।

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