उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूद्दीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पर्यावरण के अंतर्गत जल बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जल के बिना जीवन असम्भव है लेकिन मानव द्वारा जल पूरी तरह से दूषित किया जाता है जिससे आज ऐसी स्थिति बनी हुई है कि बहुत ही कम मात्रा में पीने योग्य जल बचा हुआ है।जल प्रदूषण होता जा रहा है अगर जल प्रदूषित हो जाती है तो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। इससे मनुष्य जानवर ,पेड़ पौधे सभी के लिए नुकसान देह है। हमारे पृथ्वी पर केवल एक प्रतिशत पीने के जल का स्रोत है जो कि आने वाले समय में कम होता जाएगा हमारी आने वाली पीढ़ियां हैं उनके लिए क्या पीने लायक पानी मिल पाएगा जिससे की वह अपने जीवन को पुर्ण रूप से जी सके।हमे जल को संचित कर जल को बचाना होगा ,जल को दूषित होने से बचाना होगा जिससे की मानव जीवन ,जानवरों सभी को शुद्ध जल मिल पाए।
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उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूदीन मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि भारत जैसे देश में, विशेष रूप से भारत में, हर क्षेत्र में लैंगिक असमानता बहुत अधिक है, चाहे वह शिक्षा, राजनीति, स्वास्थ्य, किसी भी क्षेत्र या सामाजिक क्षेत्र में हो। महिलाओं और पुरुषों को किसी भी क्षेत्र में समान अधिकार नहीं हैं। उसके पास उन दोनों को शिक्षित करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। यदि उन दोनों को चुनने का विकल्प मिलता है, तो वह अपनी लड़की को प्राथमिकता नहीं देते हुए पुरुष को प्राथमिकता देता है। यह उनकी सोच है। यह एक बहुत ही अनुचित व्यवस्था है या लोगों की सोच बहुत संकीर्ण है कि महिलाओं को आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा है। किसी भी क्षेत्र में अब राजनीतिक क्षेत्र शुरू हो गया है कि उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में कुछ अधिकार दिए जाएं, आरक्षण दिया जाए ताकि महिलाएं भी आगे बढ़ सकें, लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है। ऐसा होता रहा है कि छोटे पैमाने पर लड़े जाने वाले चुनावों में भी महिलाओं को आरक्षण दिया जाता है, लेकिन जब वे जीतती हैं तो वे काम नहीं करती हैं और उनके घर का कोई अन्य सदस्य उनकी ओर से काम कर रहा होता है। इसलिए हर क्षेत्र में महिलाओं के लिए असमानता है, यानी किसी भी क्षेत्र में, अगर पुरुषों और महिलाओं को नौकरी मिलती है, तो उन दोनों को नौकरी मिलती है, लेकिन उनके वेतन में असमानता है, यानी लिंग के आधार पर।
उत्तरप्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से फकरूदीन ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया' कि सरकारी योजनाओं को ध्वस्त किया जा रहा है और उनका निजीकरण किया जा रहा है, जिससे उन्हें खुले बाजार में छोड़ दिया जा रहा है, जिससे गरीबों को बहुत नुकसान हो रहा है। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि जो कोई भी निजी व्यक्ति या निजी संस्थान है, वह अपने लाभ को देखेगा, न कि लोगों के लाभ को, जबकि जब भी सरकार कोई योजना बनाती है, जब भी वह कोई काम करती है। वह देखती हैं कि गरीब और आम लोग इससे कैसे लाभान्वित हो सकते हैं, और विशेष रूप से प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना और जननी सुरक्षा योजना पर चर्चा करती हैं। मातृ वंदना योजना के तहत पहली बार गर्भवती होने वाली गर्भवती महिलाओं को पांच हजार रुपये या दो किश्तों में दिए जाते हैं। यदि वह दूसरी बार गर्भवती हुई है और अगर दूसरी बार गर्भवती होने पर उसे कोई लड़की पैदा हुई है, तो उसके खाते में छह हजार रुपये की एकमुश्त राशि जमा की जाती है। गर्भवती महिलाओं को लाभ दें क्योंकि जब गर्भवती महिलाएं होती हैं, तो सरकार उन्हें उनके रखरखाव, उनके अच्छे स्वास्थ्य, अच्छे पोषण के लिए अतिरिक्त पैसा देती है, जबकि जब दूसरी लड़की होती है, तो वह पैसा बच्चे पैदा करने पर खर्च किया जाता है।
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उत्तर प्रदेश राज्य के सुल्तानपुर जिला से सहनाज मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि समाज की प्रमुख समस्याओं में से एक यह है कि हर माता - पिता को शादी के समय बेटी को एक नया उपहार देना पड़ता है । दिवाली के दिन इस उपहार को लेने की परंपरा रही है जिसे दहेज कहा जाता है , घर से बाहर निकलने के समय दी जाने वाली घरेलू जरूरतों के समान , आज दहेज में अविनाशी कपड़े के कारीगर उपकरण शामिल हैं । नॉक को आसान बनाने का स्वैच्छिक प्रयास समय के साथ , दायित्व बदल गया है ।
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