श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के गुरता गद्दी दिवस की खुशियां लेने के लिए गुरमत समागम का आयोजन किया गया। जिसमें हेड ग्रंथी दिल्ली। के गुरुद्वारा शीशगंज साहिब के हेड ग्रंथी एवं कथा वाचक भाई अंग्रेंज सिंह जी कीर्तन भाई अमरजीत सिंह जी (नानकसर वाले) रागी जत्था भाई बलजिंदर सिंह जी ने गुरु ग्रंथ साहिब की महिमा का बखान कर संगत को निहाल कर दिया। गुरुवार को क्षेत्र के गांव शिकारपुर स्थित सिंह स्टोन क्रशर के परिसर में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के गुरता गद्दी दिवस की खुशियां लेने के लिए गुरमत समागम का आयोजन हुआ। सुबह से ही सिख संगत गुरमत समागम में पहुंचने लगी। सिख संगत ने समागम में पहुंच कर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के आगे माथा टेका। बाद में गुरमत समागम के उपलक्ष्य में रखे गए श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डाला गया। दिल्ली के गुरुद्वारा श्री शीश गंज साहिब के हेड ग्रंथि भाई अंग्रेज सिंह ने गुरु की महिमा का बखान करते हुए गुरु ग्रंथ साहिब जी की गुरता गद्दी का इतिहास संगत को बताया कि 1708 मे साहिब श्री गुरु गोविंद सिंह ने देहिक गुरु की प्रथा को समाप्त करते हुए नोवें गुरु साहिब श्री तेग बहादुर साहिब की वाणी को समाहित करते हुए आज के ही दिन गुरु ग्रन्थ् साहिब जी को स्थापित किया था। कीर्तनी जत्थे के मुखी नानकसर से भाई अमरजीत सिंह एवं रागी जत्थे के नानक भाई बलजिन्द्र सिंह जी ने गुरुओं एवं गुरु ग्रंथ साहिब की महिमा का बखान कर संगत को निहाल कर दिया।दीवान के बाद गुरु का अटूट लंगर बरता गया।इस अवसर पर सरदार हरवीर सिंह गिल, सरदार कुलवीर सिंह गिल, सरदार इंद्रपाल सिंह बग्गा, बाबा प्रताप सिंह, बाबा बलकार सिंह, बाबा अवतार सिंह, सरदार खजान सिंह, चरणजीत सिंह, सिंह सभा गुरुद्वारा स्वार के ग्रंथी तारा सिंह आदि मौजूद रहे।