उत्तरप्रदेश राज्य के प्रतापगढ़ से आशुतोष तिवारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बीसवीं सदी में महिलाओं को कोई अधिकार नहीं था। महिलाओं को अब पुरुषों के बराबर, हिंसा और भेदभाव से मुक्त होने और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के सर्वोत्तम प्राप्य मानकों के अधिकार के साथ देखा जाता है। महिलाओं को आनंद लेने का अधिकार, शिक्षित होने का अधिकार, संपत्ति रखने का अधिकार, वेतन पाने का अधिकार और नियमित वेतन प्राप्त करने का अधिकार है । 21वीं सदी में महिलाओं को पूरा अधिकार दिया गया है। सरकार ने अब पुरुषों के लिए सामान्य रूप से काम करने और पुरुषों के सामान्य वेतन का भुगतान करने के लिए महिलाओं के अधिकारों को भी मान्यता दी है। साथ ही, महिलाओं और पुरुषों के बीच अब कोई भेदभाव नहीं है, अब दोनों को सामान्य माना जाता है और सामान्य रूप से देय किया जाता है, साथ ही सामान्य रूप से काम में भी लगाया जाता है।