चायल तहसील क्षेत्र के मूरतगंज की प्रसिद्ध लाठी पिछले कुछ सालों से विलुप्त होती जा रही है। इसका मुख्य कारण है ग्रामीणों में लाठियों के खरीदारी में कमी एवं पीएसी और पुलिस महकमे में लाठियों की जगह रबर की लाठियों का प्रयोग होना है।         मूरतगंज की लाठियां पूरे प्रदेश भर में प्रचलित हैं। लाठी बनाने वाले हरिमोहन का कहना है कि उनके यहां दो पीढ़ियों से लाठी बनाने का कारोबार हो रहा है। फरुखाबाद और मिर्जापुर से कच्ची लाठियों को खरीदकर उसे सीधी करने के बाद पकाते है। ज्यादातर इन लाठियों को ग्रामीण सहित पुलिस थानों और चौकियों तथा पीएसी के लिए खरीदते रहें है। जो प्रदेश के कई जनपदों में जाती रहीं है। लेकिन पुलिस और पीएसी में जबसे प्लास्टिक की लाठियों का चलन होने लगा, तबसे लाठियों की खरीदारी कम हो गई है। शिवसेना और बजरंग दल जैसे संगठन भी मूरतगंज की लाठियों को खरीदकर प्रदेश के कई जनपदों में पहुंचाते रहे है।अब इसमें भी गिरावट आ रही है। वहीं पहले गांवो में हर घरो में एक लाठी हुआ करती थी। लेकिन अब धीरे धीरे लोगों में लाठियों के प्रति रुझान कम हो गया।