युपी फतेहपुर/खागा, । मौसम के उतार चढ़ाव में आलू एवं चना जैसी फसलों पर कीट एवं रोग हमला कर सकते हैं। अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान में उतार चढ़ाव भी फसलों को प्रभावित कर सकता है। किसानों को सलाह दी गई है कि पशुओं को खुले स्थान में न बांधे। मौसम एवं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अपनी कार्य योजना से मौसम के बिगड़े मिजाज को भी मात दे सकते हैं। मौसम एवं कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि आलू की फसल रोगों के प्रति अत्यन्त संवेदनशील होती है। इसमें अगेती एवं पछेती झुलसा रोग का खतरा बरकरार रहता है। मौसम के उतार चढ़ाव से झुलसा रोग तेजी से फैलता है। आलू की फसल को अगेती झुलसा रोग से बचाने के लिए रोगनाशी का छिड़काव करना चाहिए। इसके साथ ही माहू कीट से भी आलू की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। इससे आलू उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। आलू की कीमतों में इजाफा देखते हुए किसानों ने बड़े क्षेत्रफल में आलू की बुआई की है। कभी बदली तो कभी बारिश के कारण आलू पर रोगों का सबसे अधिक खतरा होता है। कृषि विज्ञान केन्द्र के मौसम एवं कृषि विशेषज्ञों का अनुमान है कि जल्द ही न्यूनतम तापमान इकाई में आ सकता है। उम्मीद जताई जा रही है कि न्यूनतम तापमान 9 डिग्री या इससे भी नीचे रह सकता है। जबकि अधिकतम तापमान 22 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। हवा की दिशा ज्यादातर उत्तर पश्चिमी से दक्षिण पूर्वी होगी। चने की फसल में कटवर्म या कैटपिलर कीट के प्रकोप की संभावना है। रोगनाशी का छिड़काव किया जाना चाहिए। चने की फसल में निराई गुड़ाई, बुआई के 30 से 35 दिन बाद करनी चाहिए।