संत निरंकारी मिशन द्वारा स्वच्छ जल और स्वच्छ मन के अंतर्गत नगर पंचायत हेतिमपुर मुक्तिधाम की की गई साफ सफाई
मदन मोहन मालवीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर सतीश चन्द्र गौड़ ने कहा कि भारतीय शिक्षा पद्धति में मातृभाषा को बहुत महत्व दिया जाता था तथा भारतीय ज्ञान परंपरा बालक के सर्वांगीण विकास पर बल देती है वह भौतिकता तथा आध्यात्म का अद्भुत समन्वय करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में प्रदान करने की संस्तुति करके प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को पोषित कर रही है। डॉ गौर महाविद्यालय मे शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास व आंतरिक गुणवत्ता सुनश्चयन समिति के तत्वाधान में "भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय भाषाएं " विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन आनलाइन संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। डॉक्टर गौड़ ने कहा कि वेद, उपनिषद, पुराण, रामायण,महाभारत, भगवद्गीता आदि ग्रन्थ दुनिया को यह समझने में मदद करते है कि भारतीय दर्शन एवं ज्ञान परंपरा 'वसुधैव कुटुम्बकम् विचाराधारा पर ही आधारित है।उन्होंने कहा कि प्रकृति और मनुष्य के संबंधों में सकारात्मक सामंजस्य रखते हुए सतत् विकास करना भारतीय दर्शन की मूल विशेषता रही है। शिक्षाविद डॉ पवन कुमार राय ने कहा कि कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिन:, परहित सरिस धर्म नहिं भाई, परपीड़ा सम नहिं अधिमाई, सांई इतना दीजिए जामें कुटुम्ब समाय, मैं भी भूखा ना रहूं, साधु न भूखा जाय, वैष्णव जनतो तेने कहिये, जे पीर परायी जाणे रे, जैसे न जाने कितने अनगिनत उदाहरण हैं, जिनके आधार पर यह प्रतिस्थापित होता है कि भारतीय दर्शन सही मायने में सतत् विकास की मूल अवधारणा को समाहित किये हुए है, क्योंकि दया, प्रेम, क्षमा, त्याग, सत्य, अहिंसा, शांति, सद्भावना, दान, करूणा, धैर्य, शिष्टाचार, सहिष्णुता, बलिदान, समर्पण जैसे शाश्वत जीवन मूल्य सदियों से भारतीय दर्शन एवं हमारी मूल्यपरक शिक्षा का आधार रहा हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता व संस्थान के प्रबंधक राघवेंद्र वीर विक्रम सिंह अपनी अध्यक्ष की उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान एवं दर्शन में पूरी पृथ्वी को ही एक परिवार माना गया है एवं सभी के सुखी रहने की कामना की गई है, इसलिए भारतीय जीवन मूल्य भौगोलिक सीमाओं से परे जड़-चेतन सभी के लिये समान रूप से लाभकारी हैं। गोष्ठी का संबोधन प्रोफेसर राम अवतार वर्मा, प्रोफेसर सुधीर शुक्ला, प्रोफेसर मनोज कुमार, पूर्व प्राचार्य डॉ राकेश कुमार, डॉ सुशील कुमार पांडेय, डॉ अभिमन्यु पांडेय,डॉ अवनीत सिंह, डॉ दिनेश शर्मा, डॉ शक्ति सिंह, डॉ श्रीनिवास मिश्र डॉ रंजीत कुमार सिंह आदि लोगों ने किया। ऑनलाइन संगोष्ठी में मनीष नाथ त्रिपाठी डॉ अमीरलाल डॉ कीर्ति जायसवाल , डॉ शीलेंद्र पाठक , डॉ कनकलाता, डॉ अंशुमान, डॉ अमन तिवारी , डॉ मनोज कुमार , डॉ रणजीत सिंह डॉ महेंद्र मिश्रा , डॉ कमलेश कुमार, डॉ धर्मजीत मिश्रा , डॉ मोहिनी सिंह , डॉ अरुण , डॉ जय सिंह डॉ शिवशंकर डॉ राधा , डॉ रवि सिंह , डॉ प्रवीण प्रजापति , डॉ श्याम, डॉ ज्ञान प्रकाश , डॉ अमित, डॉ अवध विहारी , डॉ कमलेश कुमार, डॉ राधा, डॉ पूनम, डॉ संतोष ,शिव प्रसाद , प्रवीण शाही, राजेशधर द्विवेदी, शिव प्रताप आदि ने प्रतिभाग लिया।
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