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भाटपार रानी,देवरिया :बनकटा थानाक्षेत्र के सतेंद्र यादव निवासी रुस्तम बहियारी (खड़वा टोला) गांव में शनिवार देर शाम आपसी विवाद से गुस्साए सतेंद्र यादव ने ईट से कुचलकर पत्नी की हत्या कर दी। जानकारी पर पहुंची पुलिस ने आरोपी सतेंद्र यादव को हिरासत में लिया है। सतेंद्र यादव रुस्तम बहियारी (खड़वा टोला) के तीन बेटे है और पत्नी मंशा देवी (32) के साथ गांव में निवास कर रहे थे।पिछले कुछ साल पहले उसने अकटही बाजार में एक अर्केस्टा चलाने लगा और उसमे की किसी नर्तकी से प्रेम प्रसंग होने पर अपनी पत्नी मंशा (32) व अपनी बेटी मुस्कान (9) छोटी (6) व छोटू (४) को घर पर छोड़ कर रहने लगा।नर्तकी से हुए प्रेम प्रसंग के बाद पति-पत्नी के बीच कलह होने लगी।शनिवार की शाम पति सतेंद्र यादव नर्तकी के साथ अपने घर पर चला गया। जिसके कारण पति-पत्नी के बीच झगड़ा हो गया। गुस्साए सतेंद्र यादव ने अपनी पत्नी मंशा देवी के सिर पर ईट से वार कर दिया,जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद सतेंद्र यादव ने खुद पड़ोसियों से अपनी पत्नी को फांसी लगाकर हत्या कर लेने की बात कही। मोहल्ले के कुछ लोगों ने उसके घर जाकर देखा तो रक्तरंजित शव पड़ा मिला।जिसकी तत्काल सूचना पीड़िता के मायके वालों को दी गई।मायके वालों की सूचना पर एसएचओ बनकटा अमित कुमार रॉय अपनी पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे तथा शव कब्जे में लेकर छानबीन शुरू की। साथ ही हत्यारोपी पति को हिरासत में ले लिया।बनकटा एसएचओ अमित कुमार रॉय ने बताया कि प्राथमिक छानबीन में पति पत्नी के बीच नर्तकी के घर ले जाने को लेकर गृह कलह में पत्नी की हत्या की बात सामने आई है। आरोपी को हिरासत में लेकर शव पोस्टमार्टम को भेजा गया है।आरोपी पर कानूनी प्रक्रिया के तहत धारा 302 सहित अन्य आवश्यक धाराओं में अभियोग पंजीकृत करते हुए आगे की जांच शुरू कर दी गई है। मृत महिला मंशा देवी का मायके लार थानाक्षेत्र के ठाकुर गौरी है।
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देवरिया जिले में आज के सब्जी मंडियों के भाव
देवरिया। जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह एवं पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा ने आज पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा आयोजित आरक्षी नागरिक पुलिस सीधी भर्ती परीक्षा-2023 के दृष्टिगत महाराजा अग्रसेन इंटर कॉलेज, महाराजा अग्रसेन बालिका इंटर कॉलेज, जीआईसी, नेशनल पब्लिक स्कूल सोंदा, गंगा प्रसाद इंटर कॉलेज सहित विभिन्न विद्यालयों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने सीसीटीवी कैमरा, जैमर, बायोमेट्रिक जांच सहित विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया। डीएम ने परीक्षार्थियों के सुविधा को ध्यान रखने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि परीक्षार्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। इसके अतिरिक्त उन्होंने कंट्रोल रूम कक्ष का भी निरीक्षण किया। केन्द्रों पर उन्होंने अभ्यर्थियों के बैग रखने के स्थान,वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था आदि भी जायजा लिया। उन्होंने कहा कि परीक्षा को नकल विहीन व शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया जा रहा है
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देवरिया। जनपद के समस्त गो-आश्रय स्थलों में चारे के रूप में साइलेज अनिवार्य करने का सुखद परिणाम दिखने लगा है। गो आश्रय स्थलों में संरक्षित गोवंशों की सेहत सुधरी है, साथ ही उनके बीमार होने की दर भी घटी है, जिससे बीमार गोवंश के ईलाज में लगने वाली दवाओं की खपत में 40 प्रतिशत तक की कमी आयी है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अरविंद वैश्य ने बताया की जनवरी 2023 में वृहद गो-संरक्षण केंद्र मझौलीराज में 175 गोवंश संरक्षित थे, जिसके सापेक्ष 160 ओपीडी दर्ज की गई थी। इसकी तुलना में जनवरी 2024 में कुल 262 गोवंश संरक्षित थे और महज 113 ओपीडी दर्ज हुई। कान्हा गौशाला गौरी बाजार में जनवरी 2023 में 120 गोवंश संरक्षित थे जिसके सापेक्ष 122 ओपीडी दर्ज हुई, जबकि जनवरी 2024 में 143 गोवंश संरक्षित थे, जिसके सापेक्ष महज 44 ओपीडी ही दर्ज हुई। कमोबेश सभी गो-आश्रय स्थलों में ओपीडी में गिरावट दर्ज की गई है, जिसका परिणामस्वरूप जनवरी 2023 की तुलना में जनवरी 2024 में दवाओं की खपत में लगभग 40 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जिससे बड़ी मात्रा में शासकीय धन की बचत हुई है। गोवंश की मृत्यु दर में भी खासी गिरावट दर्ज हुई है। वेटनरी ऑफिसर डॉ अशोक कुमार त्रिपाठी बताया कि वर्तमान समय में नौ अस्थायी गो आश्रय स्थल में 517, पांच कान्हा गोशाला में 702, नौ कांजी हाउस में 337 तथा तीन बृहद गो आश्रय स्थल में 797 गोवंश संरक्षित हैं। जनपद में लागू व्यवस्था के अनुसार प्रत्येक गोवंश को न्यूनतम तीन किलोग्राम साइलेज प्रतिदिन खिलाया जा रहा है। जनपद में सीतापुर की फर्म द्वारा 8.90 प्रतिकिलो की दर से साइलेज की आपूर्ति की जा रही है, जो भूसे की औसत कीमत 10 -12 रुपये प्रति किलो से काफी कम है। जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि साइलेज का दोहरा लाभ है। यह भूसे से काफी सस्ता है, दूसरा इसमें मौजूद पोषक तत्व से गोवंश की विभिन्न रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी है और वे कम बीमार पड़ रहे हैं, जिससे दवा के खर्च की भी बचत हो रही है।
