सोहनपुर, देवरिया। आज जनता के बीच रह कर, जाती पाती भेदभाव नही रखते हुए मेरा अनुभव यह दर्शाता है कि, एक पत्रकार का जीवन पानी के बुलबुले के समान है, बुलबुले में तस्वीर तो दिखाई देती है मगर बुलबुले फुटने के बाद सच्चाई देखने को मिलती है, जनता की भलाई के लिए किया गया परिश्रम का फल पत्रकार को झेलना पड़ता है, यदि इसी बीच पत्रकार के साथ कोई घटना घट जाती है तो पत्रकार का परिवार टूट जाता है, इस दौरान संगठन के द्वारा यथा शक्ति सहयोग करने का प्रयास किया जाता है, आईना के टुकड़े में भी चेहरे दिखाई देते हैं।