शर्म नहीं ,सम्मान है हिंदी ही हमारा अभिमान है आज का दिन ख़ास है। आज ही के दिन यानि 14 सितम्बर 1949 को भारत की संविधान सभा द्वारा हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्ज़ा मिला और इसी के सम्मान में साल 1953 से प्रतिवर्ष हिंदी दिवस आधिकारिक रूप से मनाया जाता आ रहा है। हिंदी दिवस मानाने का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा का महत्व को उजागर करना और हर क्षेत्र में हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देना है।

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जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय परिसर में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया । स्वामी विवेकानंद युवा शिक्षण योजना , 2002 के तहत छात्रों को स्मार्टफोन दिए गए थे । मुख्य अतिथि सांसद विरेन्द्र सिंह मास ने कहा कि अपनी भाषा अपनी भोजन और अपा अपने आत्मविश्वास पर गर्व करना चाहिए । एक ऐसी सभ्यता और संस्कृति की परंपरा जो अपनी विशिष्टता पर गर्व नहीं करती है , नष्ट हो जाती है । भारत में यह संभव नहीं है । अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञानी प्रो . जगदीश शुक्ला , जो सम्मानित अतिथि थे , ने कहा कि भारत में त्योहार प्रकृति के अनुसार मनाए जाते हैं । गीत के बोल संस्कृत प्रकृति पर आधारित हैं । मुख्य समय में , टीडी कॉलेज के प्रोफेसर जनेंद्र कुमार पांडे ने कहा कि भाषा संस्कृति की वाहक है । विविता हमारी पहचान है । कुलपति प्रोफेसर

चंद्रशेखर विश्वविद्यालय में विश्व हिंदी दिवस पर कार्यक्रम का हुआ आयोजन

आज विश्व हिंदी दिवस मनाया जा रहा है।

अंजुमन तरक्ककी ए उर्दू की ओर से विश्व उर्दू दिवस के शमा पब्लिक स्कूल उमरगंज मनाया गया। इस अवसर पर एक जलसा एवं सेमिनार का आयोजन रविवार की शाम को किया गया। जिसमें मधुसूदन श्रीवास्तव अधिवक्ता को अंजुमन तरी बलिया के राष्ट्रीय एकता अवार्ड से भी नवाजा गया।

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