जी-20 शिखर सम्मेलन के नाम पर इन मेहनतकशों से उनकी रोजी-रोटी छीन ली गई है। केवल इसलिए कि दुनिया के रईसों को दिखाने के लिए सजाई गई दिल्ली की खूबसूरती में बट्टा न लगे, गरीब , फटे , लिथरे और बदबूदार शरीरी के आस पास आजने से कहीं बिदेशी मेंहमानों को नायक और भों न चाड जाएं। सितंबर महीने की 9-10 तारीख को लगने वाले विदेशी मेहमानों के जमावड़े को लेकर दिल्ली को 3 दिनों के लिए तकरीबन बंद कर दिया है। सड़क पर रहने और काम करने वाले लोगों को वहां से हटा दिया गया है। नौकरी पेशा लोगों को घरों में रहने के लिए कह दिया गया है। सड़कों पर भीड़ न दिखे इसलिए स्कूलों, कॉलेजों दफ्तरों को बंद कर दिया गया है। निजी दफ्तरों में रोजाना पुलिस को भेजा जा रहा है और नगर निगम की चिट्ठी भेजी जा रही है ताकि वे इन दफ्तरों को बंद करा सकें। तमाम तरह की एडवाइजरी जारी की जा रही हैं, और यह सब इसलिए हो रहा है कि बिदेशी मेहमानों की शान में कोई गुस्ताखी न हो। हो सकता है की आप दिल्ली में नहीं रहते हों , लेकिन आप गरीब मजदूरों की पीड़ा से भली भांति परिचित हैं ,दोस्तों जी-20 जैसे शिखर सम्मेलनों के लिए देश की राजधानी को बंद कर देने का फैसला कितना ठीक है, या फिर सरकार अपनी किसी छिपी हुई मंशा को पूरा करने के लिए ऐसा कर रही है? ऐसा कोई कदम उठाने से पहले सरकार को उन आम लोगों के बारे में नहीं सोचना चाहिए जो रोज काम करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं? क्या लोकतान्त्रिक राज्य जब चाहे लोगों को घरों में कैद कर देना आपको कितना उचित लगता है ? इस मसले पर अपनी बात को रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आपकी बात भले मसले के पक्ष में हो या फिर विपक्ष में। अपनी बात पक्ष _विपक्ष में रिकॉर्ड जरूर करें अपने फोन से 3 नंबर का बटन दबाकर या फिर एप के जरिए एड का बटन दबाकर, क्योंकि आप बोलना जरूरी है। बोलेंगे तो बदलेगा?

नमस्कार आदाब श्रोताओं, मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है रोजगार समाचार। यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो पटना हाई कोर्ट द्वारा निकाली गई पर्सनल अस्सिटेंट पदों पर ₹ 44,900 To ₹ 1,42,400 Rsपर कार्य करने के लिए इच्छुक है । इन पदों के लिए कुल 36 रिक्तियां निकाली गयी है। इन पदों के लिए वैसे उम्मीदवार आवेदन कर सकते है जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण किया हो। तथा कंप्यूटर और शार्ट हैंड का ज्ञान हो। इन पदों पर आवेदन करने के लिए अधिकतम आयु सीमा 37 वर्ष रखी गई है । आवेदनकर्ताओं का चयन प्रारंभिक परीक्षा, और स्किल टेस्ट में प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा। इन पदों पर आवेदन करने के लिए सभी उम्मीदवारों के लिए निशुल्क रखा गया है। यदि आप के पास मांगी गयी सारी योग्यताएं है तो आप अपना आवेदन आधिकारिक वेबसाइट https://patnahighcourt.gov.in/Recruitments.aspx पर ऑनलाइन कर सकते है। याद रखिये आवेदन पत्र 18 september 2023 तक ही स्वीकार किये जायेंगे। तो साथियों,अगर आपको यह जानकारी लाभदायक लगी तो मोबाइल वाणी एप्प पर लाइक बटन दबाये साथ ही फ़ोन पर सुनने वाले श्रोता 5 दबाकर इसे पसंद कर सकते है। नंबर 5 दबाकर यह जानकारी आप अपने दोस्तों के साथ बाँट भी सकते हैं। धन्यवाद !

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एक राष्ट्र एक चुनाव के फैसले पर आगे बढ़ने के लिए संविधान में संशोधन जरूरी है, इसके लिए दो तिहाई राज्यों की सहमति, संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से पास कराने जैसी प्रक्रिया भी हैं, जिससे गुजरकर ही यह विचार मुकम्मल होगा। यह मसला व्यापक चर्चा का विषय है लेकिन सरकार के पास क्या इतना वक्त है जिसमें इस तरह की चर्चा कराई जा सके, जबकि आम चुनावों में कुछ महीनों का ही वक्त बचा हुआ है। दोस्तों क्या आपको भी लगता है कि सरकार की तरफ से बुलाया गया संसद का विशेष सत्र नियम प्रक्रियाओं और परंपराओं के अनुरूप है, सरकार जिस विधेयक को पेश कर रही है वह इतना महत्वपूर्ण है कि इस पर विचार विमर्श भी न किया जा सके। पूर्व राष्ट्रपति को एक राजनीतिक समिति का अध्यक्ष बनाया जाना कितना सही है? क्या यह सरकार की मनमर्जी है? इस मसले पर अपनी बात को रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आपकी बात भले मसले के पक्ष में हो या फिर विपक्ष में। अपनी बात पक्ष _विपक्ष में रिकॉर्ड जरूर करें अपने फोन से 3 नंबर का बटन दबाकर या फिर एप के जरिए एड का बटन दबाकर, क्योंकि आप बोलना जरूरी है। बोलेंगे तो बदलेगा?

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दोस्तों , सरकार कानून में संसोधन कर रही है , नए-नए बिल ला रही है। कहीं सड़को के नाम बदले जा रहे है, तो कहीं पर योजनाओं के नाम बदले जा रहे है। चापलूसों ने भी अपना नाम बदल कर वक्ता रख लिया है और कान में इयरफोन लगा कर अपने आप को नेता जी से ऊपर समझने लगे है। तो जब पूरा देश ही नाम बदलने के चक्कर के लगा हुआ है , तो हमारी देश की जनता जिसे हम नागरिक कहते है , उन्होंने भी महँगाई का नाम बदल कर उसका तोड़ निकाल लिया है। अब लोग महँगाई से लड़ने के लिए किलो में नहीं बल्कि पाव में खरीददारी कर रहे है। एक ज़माना था , जब लोग कहते थे कि एक सेब रोज़ खाइए और डॉक्टर को दूर भगाइए। आज लोग सेब को देख कर ही दूर भाग रहे है। दाल, तेल, मसालों और सब्ज़ियों के बाद अब आम आदमी फल का केवल नाम ही सुन पा रहा है। आने वाले वक़्त में ये खतरा है कि लोग आश्चर्य से ये न बताये कि आज मैंने अंगूर देखा था , बिल्कुल हरा हरा गोल गोल। दोस्तों, आप हमें बताइए कि इस बढ़ती महँगाई में आपका गुज़ारा कैसे हो रहा है ? क्या आप मौसमी फल खा पा रहे है ? बढ़ती महँगाई ने आपके घर और रसोई को किस कदर प्रभावित किया है। अपनी बात, राय विचार और अनुभव बताने के लिए अभी दबाएँ अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन साथ ही मोबाइल वाणी ऐप में रिकॉर्ड करने के लिए दबाएँ ऐड का बटन। दोस्तों, समाज के हर मसले पर हमें बोलना होगा। क्योंकि हमारा मानना है कि बोलेंगे तो बदलेगा

"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री अशोक झा ऑर्गेनिक खेती या प्राकृतिक खेती के बारे में जानकारी दे रहें हैं। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.