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जलवायु की पुकार [ एक नए सफर का अंत ] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे की कैसे दुनिया भर में तापमान तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ रहा है ।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ श्री अशोक झा जीवामृत और घनामृत खाद बनाने के बारे में जानकारी दे रहें हैं। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
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नमस्कार आदाब श्रोताओं, मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है रोजगार समाचार। यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो इंडियन एयर फोर्स रैली भर्ती, द्वारा निकाली गई Airmen (Group Y) पदों पर Rs.26,900/- प्रतिमाह रहेगा, पर कार्य करने के लिए इच्छुक है । कुल 100 पदों के लिए वैसे उम्मीदवार आवेदन कर सकते है जिन्होंने भौतिकी , रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान और अंग्रेजी के साथ 12वीं / इंटरमीडिएट परीक्षा में कम से कम 50% अंकों के साथ पास किया हो। आवेदन करने के लिए 26-12-2002 और 26-12-2006 के बीच जन्मे उम्मीदवार ही पात्र होंगे।
अभी हाल में ही सांख्यिकी और कार्यक्रम मंत्रालय, भारत सरकार ने जुलाई महीने का नया आकंड़ा ज़ारी किया है। इस आंकड़े के अनुसार , सब्जियों और अन्य खाने का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई है , जो कि पिछले 15 महीनो में सबसे ज्यादा है। मतलब कि जुलाई महीने में पिछले डेढ़ साल की सबसे ज्यादा महँगाई थी। लेकिन क्या कभी आपने किसी नेता का बढ़ती महँगाई पर बयान सुना। पहले टमाटर महँगा था तो उसे छोड़ने के लिए बोला गया। अब कुछ दिन में आटा और दाल खाने के लिए भी मना किया जाएगा। उसके बाद हम लोग हवा पीकर न्यू इंडिया को बनाने में अपना योगदान देंगे। कौन जाने ...? बाकि लाल किले की प्राचीर से आपने देश के प्रधानमंत्री का भाषण सुन ही लिया होगा। सरकार ने तो पहले से ही कह दिया था कि जो सत्तर साल में नहीं हुआ, उसे ही कर के दिखाएंगे और एकदम नया इंडिया बनाएंगे। तो वो तो बन ही रहा है। एक दम से रिन जैसा सफ़ेद। बाकि आप बताईये दोस्तों, आपके क्षेत्र में महंगाई के क्या हालात है ? इस बढ़ती हुयी महँगाई ने आपके और आपके परिवार में खान पान को किस तरह से प्रभावित किया है ? आने वाले वक़्त में आप किन-किन मुद्दों पर बात करना चाहते है ? और आपको राजीव की डायरी कैसी लग रही है। अपनी बात बताने के लिए अभी दबाएँ अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन और बताएं अपने विचार।
भारतीय संविधान में भारत को ‘राज्यों के संघ’ के रूप में संबोधित किया गया है। इसके विपरीत संविधान में कहीं भी महासंघ या फेडरेशन (फेडरेशन ) शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है। संघवाद सत्ता का वह स्वरूप है जहां सत्ता एक से ज्यादा स्तरों पर बटी होती है। भारत में यही व्यवस्था है, और इसी के चलते यहां सत्ता का बंटवारा केंद्र और राज्य के स्तर पर किया गया है। सहकारी संघवाद में केंद्र व राज्य एक-दूसरे के संबंधों में एक-दूसरे के सहयोग से अपनी समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं। सहकारी संघवाद की इस अवधारणा में यह स्पष्ट किया जाता है कि केंद्र और राज्य में से कोई भी किसी से श्रेष्ठ नहीं है।