भारत में जादू-टोना हमारी अंधविश्वासी मान्यताओं और लोक कथाओं का एक हिस्सा है। माना जाता है कि जादू-टोना विशेष शक्तियों द्वारा संचालित किया जाता है। जिसके माध्यम से व्यक्ति या वस्तुओं को प्रभावित किया जा सकता है। उन्हें नुकसान पहुंचाया जा सकता है। जब कि यह एक प्रकार का अंधविश्वास है और इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। जादू-टोना की सहायता से किसी को भी बीमार किया जा सकता है या उसे मारा जा सकता है। हमारे समाज में यह एक आम भ्रांति है। इनसे बचाव के लिए किई निरर्थक टोटके भी बताए जाते है। जिसमें घोडे की नाल, पीले कपड़े में चावल बांधना आदि शामिल है। कई बीमारियां जैसे लिव्हर की बीमारियां, पेट का अल्सर, आदि असाधरण बीमारियां आसानी से समझ में नहीं आती है। और कुछ दिनों बाद तकलीफ यानी दर्द देते रहते है। कई बार इसे किसी का जादू-टोना समझकर अज्ञानवश निर्दोष लोगों को परेशान किया जाता है।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा सरसों की खेती के बारे में जानकारी दे रहे है । सरसों की खेती कब और कैसे करे सहित अन्य जानकारियों के लिए ऑडियो पर क्लिक करें...
नागरिकों को राजनीतिक दलों के चंदे का स्रोत जानने का अधिकार नहीं है । सरकार की तरफ से पेश हुए उनके वकील यानी सॉलिसिस्टर जनरल आर रमन्नी ने यह बात सुप्रीम कोर्ट में कही है। सवाल उठता है कि जब सब कुछ ठीक है, तो फिर चंदे से जुड़ी जानकारी जनता से साझा करने में दिक्कत क्या है? राजनीतिक शुभचिंतक और भ्रष्टाचार पर वार करने वाले राजनीतिक दल की सरकार अगर कहे कि वह जनता को नहीं बता सकती कि उनकी पार्टी को चंदा देने वाले लोग कौन हैं? आज हमारे साथ लखनऊ हाईकोर्ट परामर्श केन्द्र के माध्यम एवं उत्तरप्रदेश कांग्रेस पार्टी के विधिविभाग के कोर कमेटी सदस्य एडॅ इद्रप्रताप सिंह सर के साथ मोबाइलवाणी पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ गाय की प्रमुख नस्ल लाल सिंधी की जानकारी दे रहे है । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ भैंस की मुर्रा नस्ल के बारे में जानकारी दे रहे है । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
ग्रामवाणी की इंटरव्यू सीरीज "क्या हाल विधायक जी में विधानसभा क्षेत्र बैतूल जिले की भैंसदेही से विधायक धरमू सिंह सिसराम से बृजेश शर्मा की बातचीत .
साथियों, आये दिन हमें ऐसे खबरे सुनने को और देखने को मिलती कि फंलाने जगह सरकारी स्कुल की छत गिर गई या स्कुल की दिवार ढह गई। यहाँ तक कि आजकल स्कुल के क्षेत्र में लोग पशु भी बाँधने लगते है, अभी ऐसी ही खबर दैनिक भास्कर के रांची सस्करण में छपी। रांची के हरमू इलाके में जहाँ कुछ लोग वर्षो सेअपने दुधारू पशु को स्कुल से सटे दीवाल में बाँध रहे है और प्रशासन इस पर मौन है। ये हाल झारखण्ड की राजधानी रांची के एक सरकारी स्कुल का है , बाकि गाँव का हाल तो छोड़ ही दीजिये। क्या आपको पता है कि शिक्षा के अधिकार के नियम के तहत स्कुल में पीने का साफ़ पानी और शौचालय की बुनियादी सुविधा के अनिवार्य रूप से मुहैया करवाने की बात कही गयी है। और ये बेसिक सी चीज़े उपलब्ध करवाना सभी सरकारों का काम है। लेकिन जब 25 से 35 % स्कूलों का हाल ये हो तब किसे दोषी माना जाए ? सरकार को नेताओ को या खुद को कि हम नहीं पूछते??? बाक़ि हाल आप जान ही रहे है। तब तक, आप हमें बताइए कि ******आपके गाँव या क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में शौचालय और पानी की व्यवस्था कैसी है ? ****** वहां के स्कुल कितने शिक्षक और शिक्षिका पढ़ाने आते है ? ****** साथ ही शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है , ताकि हमारे देश का भविष्य आगे बढे।
‘नागरिकों को राजनीतिक दलों के चंदे का स्रोत जानने का अधिकार नहीं है’ सरकार की तरफ से पेश हुए उसके वकील यानी सॉलीसिटर जनरल आर. रमन्नी ने यह बात सुप्रीम कोर्ट में कही है’। सवाल उठता है कि जब सबकुछ ठीक है तो फिर चंदे से जुड़ी जानकारी जनता से साझा करने में दिकक्त क्या है? राजनीतिक शुचिता और भ्रष्टाचार पर वार करने वाले राजनीतिक दल की सरकार अगर कहे कि वह जनता को नहीं बता सकती की उसकी पार्टी को चंदा देने वाले लोग कौन हैं, तो फिर इसको क्या समझा जाए।
सुनिए हंसी-मज़ाक में डूबे हंसगुल्ले और रिकॉर्ड कीजिए अपने चुटकुले, मोबाइल वाणी पर, फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर। जल्द आ रहा है प्रोग्राम, हंसगुल्ले। इसमें आपको नए-नए जोक्स अनोखे अंदाज़ में सुनने को मिलेंगे।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ प्याज की रोपाई से पूर्व मिट्टी तैयार करने के बारे में जानकारी दे रहे है । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.