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दोस्तों, “चलो चलें" इस एपिसोड में में आप सुनेंगे अयोध्या के बारे में, जो अयोध्या के साथ ही साकेत और अवधपुरी भी है। यहाँ आप जानेंगे अयोध्या शहर के इतिहास से लेकर भूगोल तक, खाने के ठिकानों से लेकर घूमने की जगहों तक सबकुछ, जानेंगे उस शहर के बारे में उस शहर के लोगों से कि वे क्या खाते हैं और कहां घूमते हैं ? ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें...
हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए...
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"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव शर्मा सर्दी के मौसम में मुर्गीपालन के लिए जरुरी बातें बता रहे है। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
नियम क्या हैं, ये क्यों बनाए जाते हैं और इनसे क्या बदलता है... इन तीनों सवालों से अक्सर जनता परेशान रहती है, जनता की परेशानी उसे मिलने वाले नित नए सबक के बावजूद भी बनी रहती है। परेशान जनता यह मानना ही नहीं चाहती है नियम उसकी भलाई के लिए ही होते हैं।हमारे देश में नियमों की तब तक ही अहमियत होती है जब तक वे हमारी मौज मस्ती में बाधा नहीं बनते, एक बार अगर ये नियम हमारी मौज मस्ती में बाधा बनने लगते हैं तो हम बिना इनके बारे में सोचे और भविष्य की परवाह किए इनसे बचने की तरकीबें निकालने लगते हैं। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, क्या आपको भी लगता है कि सरकारों को इस पर पूर्णत प्रतिबंध लगा देना चाहिए, या फिर ऐसे ही थोड़े से पैसे के लालच में उन व्यापारियों को खुली छूट होनी चाहिए जो इसका व्यापार करने में लगे हैं।
हंसने-हंसाने से इंसान खुश रहता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और डिप्रेशन कम होता है। दोस्तों, उत्तम स्वास्थ्य के लिए हंसी-मज़ाक बहुत ज़रूरी है। इसीलिए मोबाइल वाणी आपके लिए लेकर आया है कुछ मजेदार चुटकुले, जिन्हें सुनकर आप अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगे। हो जाइए तैयार, हंसने-हंसाने के लिए
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भगवे वस्त्रधारी बाबा मेरे दरवाजे पर आया और कहा बच्चा आपका हाथ दिखाए। मुझे हाथ दिखाने में कोई इच्छा नहीं थी मैने उसे चले जाने को। वह खड़ा ही था कि इतने में एक और सज्जन सफेद वस्त्र धारी जो साधु से लगते थे आकर खडा हो गए तथा भगवे वस्त्र वाले से पूछा क्या तुम अंतर ज्ञानी हो और उसने जेब में से हाथ निकाल कर बंद मुट्ठी दिखाई और पूछा बताओ इसमें क्या है भगवे कपड़े वाले ने कुछ गणना करके कहा इस हाथ में भांग है। उस सज्जन ने हाथ खोलकर दिखाया तो उसमें भभूती थी। तब उस सफेद वस्त्रधरी ने मुझे और भगवाधारी बाबा से कहा तुम दोनों अपने मन की कुछ बातें सोच लो और एक दूसरे से कह दो यह कहकर वह कुछ दूर पर जाकर खड़े हो गया। मैं इन सब चीजों में विश्वास नहीं करता था परंतु इस तमाशे में कुछ मजा आने लगा मैंने भगवे वस्त्र वाले से कहा कि मुझे अपनी पत्नी के स्वास्थ्य की चिंता है तथा भगवे वस्त्रधारी ने मुझ से कहा कि मुझे अपनी लड़की की शादी की चिंता है ।